15 हजार करोड़ की संपत्तियों की खरीद-फरोख्त में PAN का इस्तेमाल नहीं

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नई दिल्ली। हर छोटी खरीदारी या 10,000 रुपए से अधिक के ट्रांजेक्शन पर PAN की मांग की जाती है, लेकिन महाराष्ट्र में रियल एस्टेट क्षेत्र में 75,405 ट्रांजेक्शन में क्रेता एवं विक्रेता की तरफ से पैन नंबर नहीं दिया गया। इस ट्रांजेक्शन की राशि 15,460 करोड़ रुपए बताई गई है।

मतलब 75 हजार से अधिक मकान, फ्लैट, जमीन, दुकान वगैरह खरीदी गई और इन सब की कुल कीमत 15,460 करोड़ रही, लेकिन न तो खरीदने वालों ने और न ही बेचने वालों ने पैन नंबर शो किया। यह खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG ) की रिपोर्ट में किया गया है। मंगलवार को कैग की रिपोर्ट संसद में पेश की गई।

बिहार और महाराष्ट्र में भारी खरीद-फरोख्त
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ महाराष्ट्र में नहीं, बिहार में भी बिना पैन के संपत्तियों की भारी खरीद-फरोख्त की गई। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 85 संपत्तियों की खरीद-फरोख्त जिनकी कीमत 136.93 करोड़ बताई गई, में न तो खरीदने वाले और न ही बेचने वाले ने अपना पैन नंबर दिया। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इनकम टैक्स विभाग के पास इन चीजों की जांच के लिए उचित मैकेनिज्म नहीं है।

जांच में पाया गया कि कई प्रोपर्टी की खरीदारी को लेकर बेचने वाले या खरीदने वाले ने खरीदारी में शामिल रकम के सोर्स की उचित जानकारी नहीं दी, फिर भी उन पर कार्रवाई नहीं की गई। CAG ने रियल एस्टेट क्षेत्र में इनकम टैक्स के इस प्रकार के कई रवैये पर भारी ऐतराज जाहिर किया है।

ब्लैक मनी को मिला बढ़ावा
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इनकम टैक्स विभाग के ढीले रवैये की वजह से रियल एस्टेट क्षेत्र में ब्लैक मनी के संग्रह की आशंका प्रबल हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन, मकान की सैकड़ों खरीद-फरोख्त में बाजार भाव से कम की कीमत दर्शाने पर भी विभाग की तरफ से उसकी उचित जांच नहीं की गई। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कई उदाहरण भी पेश किए हैं।

शेयर के दामों में घालमेल
रिपोर्ट में कहा गया है कि रियल एस्टेट कंपनियों की तरफ से हाई प्रीमियम दरों पर अपने शेयर जारी किए गए, लेकिन इनकम टैक्स विभाग की तरफ से उनकी जांच भी ठीक नहीं किया है। इससे ब्लैक मनी के संग्रह को बढ़ावा मिला। रियल एस्टेट कंपनियों के शेयर के जो दाम दिखाए गए, वे कंपनियों के बैलेंस शीट से मेल नहीं खाते हैं, ऐसे में ब्लैक मनी जमा होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। कैग ने कहा है कि विभाग की तरफ से रियल एस्टेट कंपनियों की बैलेंस शीट की उचित जांच नहीं हुई और उनके अनएकाउंटेड खाते को भी सही तरीके से नहीं खंगाला गया।