नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रीपो रेट में 0.25% कटौती का फैसला किया। इसके साथ ही, अब रीपो रेट 6.50% से घटकर 6.25% हो गया। एमपीसी के छह में से चार सदस्योंं ने रीपो रेट में कटौती का समर्थन किया जबकि दो अन्य सदस्यों, विरल आचार्य और चेतन घाटे रेट कट के पक्ष में नहीं थे।
एमपीसी ने उम्मीद के मुताबिक नीतिगत रुख को ‘नपी-तुली कठोरता’ बरतने को बदल कर ‘तटस्थ’ कर दिया। साथ ही कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और राजकोषीय चुनौतियों के चलते नीतिगत दर में बदलाव नहीं किए जाने की संभावना है। छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की। आरबीआई गवर्नर बनने के बाद यह उनका पहली एमपीसी बैठक थी।
बता दें कि यह चालू वित्त वर्ष की छठी और आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा है। आम तौर पर एमपीसी अपनी समीक्षा को दोपहर में जारी करती है। पिछले तीन बार से अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने रीपो रेट को लेकर स्थिति पहले जैसी बरकरार रखी है। उससे पहले चालू वित्त वर्ष की अन्य दो समीक्षाओं में प्रत्येक बार उसने दरों में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की थी।
विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई थी कि एमपीसी मौद्रिक स्थिति के संबंध में अपने मौजूदा ‘सोच-विचार’ वाले रुख को ‘तटस्थ’ कर सकती है क्योंकि मुद्रास्फीति दर नीचे बनी हुई है। इससे पहले दिसंबर 2018 में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में परिवर्तन नहीं किया था, लेकिन वादा किया था कि अगर मुद्रास्फीति का जोखिम नहीं हुआ तो वह दरों में कटौती करेगा। खाद्य कीमतों में लगातार गिरावट के चलते खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2018 में 2.19 प्रतिशत रही जो 18 माह का निचला स्तर है।