नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2019 के बाकी बचे महीनों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दरों को यथावत रख सकता है। वहीं मुद्रास्फीति के बढ़ने पर वित्त वर्ष 2020 के दौरान सोची समझी रणनीति के तहत ब्याज दरों में इजाफा किया जा सकता है। सिंगापुर के बैंक डीबीएस की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
नीतिगत ब्याज दरों पर फैसला करना काफी हद तक कच्चे तेल की कीमतों और रुपये की स्थिति पर निर्भर करता है जिसे कि अर्थशास्त्रियों की ओर से वाइल्ड कार्ड कहा जाता है। हेडलाइन इन्फ्लेशन के आंकड़े जारी होने के बाद सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक (सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में 3.31 फीसद रही थी) लेंडर ने वित्त वर्ष 2019 के अपने अनुमान को 4.4 फीसद से घटाकर 4 फीसद कर दिया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020 के लिए मूल्य वृद्धि परिदृश्य 4.2 फीसद तक बढ़ सकता है जो कि आरबीआई को नीतिगत दरों में इजाफे के लिए प्रेरित करेगा। गौरतलब है कि केंद्रीय बैंक ने अपनी अक्टूबर की पॉलिसी बैठक में ब्याज दरों को यथावत रखा था, इसके पहले इसने दो बार नीतिगत दरों में 0.25 फीसद का इजाफा किया था।
आरबीआई की बैठक 4 और 5 दिसंबर को: वर्तमान में रेपो रेट 6.5 फीसद है। रेपो रेट पर आरबीआई की अगली बैठक 4 और 5 दिसंबर 2018 को होनी है। इसके बाद इस वित्त वर्ष की आखिरी बैठक 5 और 6 फरवरी 2019 को होगी।