ट्रेन-18 का ट्रायल हुआ फेल, इंजन लगाकर लाई गई वापस

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अंबाला। रेलवे की महत्वाकांक्षी इंटरसिटी ट्रेन परियोजना ट्रेन-18 को ट्रायल के दौरान बड़ा झटका लगा है। रीजनरेशन टेस्ट के दौरान हाई वोल्टेज आ जाने के कारण ट्रेन सेट के इलेक्ट्रिकल व अन्य पार्ट्‌स खाक हो गए। चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) के जिस विद्युत ट्रैक पर ट्रायल चल रहा था, वहां फैले हाई वोल्टेज के कारण साथ खड़े दो इंजन और एक ईएमयू तक क्षतिग्र्रस्त हो गए।

इस घटना में एसएमटी सर्किट को भी क्षति पहुंची। वहीं, इस हादसे पर पर्दा डालने के लिए इलेक्ट्रिकल इंजन लगाकर ट्रेन-18 को चेन्नाई से दिल्ली के सफदरजंग स्टेशन पहुंचा दिया गया। इस ट्रेन के अंदर जाने की किसी को अनुमति नहीं दी गई क्योंकि क्षतिग्रस्त हिस्सों को अभी बदलना बाकी है।

रेल मंत्रालय का प्रयास है कि ट्रेन को हर हाल में इसी साल ही पटरी पर दौड़ाया जाए। जैसा कि इस परिजोयना के कोड यानी ट्रेन-18 का उद्देश्य भी था। बहरहाल, प्रोजेक्ट पूरी तरह लेट हो चुका है। ट्रेन के ट्रायल के दौरान चार और पांच नवंबर के बीच में चेन्नाई मंडल के अन्नाानगर के पास हादसा हुआ था। इसे ट्रायल से जुड़े जिम्मेदार विभाग की गंभीर चूक बताया जा रहा है। ट्रायल फेल होने की घटना ने रेल अधिकारियों का चैन उड़ा दिया है।

सूत्रों का साफ कहना है कि इस घटना के पीछे मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल विभाग के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई है।। इनकी खींचतान का असर यात्रियों की सुविधाओं पर भी पड़ रहा है। अब यह नया घटनाक्रम सामने है। सीनियर डीईई/टीआरडी/एमएएस ने प्रिंसिपल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर को चिट्ठी लिखकर ट्रेन-18 के ट्रायल के दौरान हुए हादसे के बारे में अवगत कराया है।

7 नवंबर लिखी इस चिट्ठी में बताया गया कि 4 व 5 नवंबर को एमएएस व अवादी स्टेशन के बीच ट्रेन का ट्रायल किया गया। रीजनरेशन टेस्ट के दौरान हाई वोल्टेज से हादसा हुआ। इंजन नंबर डब्ल्यूएपी/4/ईडी 12615 जीटी व 12655 जीटी लोको के पार्टस भी जल गए। चिट्ठी में बताया गया कि इंस्यूलेटर भी 40 साल पुराने थे। पहली घटना के बाद एक्सईई 12615/ आईसीएफ को सुझाव दिया गया था कि रीजनरेशन के दौरान सर्किट को चेक करना है लेकिन पांच नवंबर को फिर इसी तरह की घटना हो गई।

यह कैसा प्रदर्शन
बुधवार को दिल्ली में ट्रेन-18 के आगे इलेक्ट्रिकल इंजन व पीछे स्लिपर के डिब्बे लगा कर दौड़ा दिया गया। जबकि सेमी हाई स्पीड कैटेगरी की इस ट्रेन में इंजन नहीं है बल्कि मेट्रो की तरह इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर यह दौड़ती है। किसी को बोगियों के अंदर भी झांकने नहीं दिया गया।