बर्फबारी से जम्मू-कश्मीर में सेब की फसल बर्बाद, बागबान की उम्मीदें दफन

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श्रीनगर। बे-मौसम बर्फबारी जम्मू-कश्मीर के सेब बागानों पर कहर बन कर टूटी है। बाहर से आने वाले पयर्टकों के लिए यह भले ही रोमांच हो परंतु स्थानीय बागवान बदहवास हैं। रविवार को इस बर्फबारी के बाद बगान में सेब देखने पहुंचा बागवान झार-झार रोने लगा। कई फुट ऊंचाई तक जमा बर्फ के नीचे दबे सेबों को वह हाथ से खोद कर निकालने लगा। इस दृश्य ने वहां मौजूद लोगों को दहला दिया।

बर्फ के नीचे सेब नहीं बल्कि उस बागबान की सारी उम्मीदें दफन हो चुकी थीं जो उसने इस बार की पैदावार से लगा रखी थी। जेएंडके किसान तहरीक ने करीब एक हजार करोड़ के नुकसान का अंदेशा जताया है। पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने प्रशासन को नुकसान का जायजा लेने की मांग की है। वहीं, गवर्नर के सलाहकार खुर्शीद अहमद गनई ने बागवानी विभाग को नुकसान के आकलन और जिलावार सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

जम्मू संभाग में धान की फसल को नुकसान
इस बर्फबारी की वजह से जहां जम्मू संभाग में धान और अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा है, वहीं कश्मीर में सेब की फसल को बड़े स्तर पर हानि हुई है। कश्मीर में बड़ी संख्या में सेब के पेड़ या तो तेज हवाओं से उखड़ गए या बर्फ की अधिकता से टूट गए। सबसे ज्यादा नुकसान कुलगाम, पुलवामा, शोपियां, बांदीपुरा और बारामुला में हुआ है।

फल उत्पादकों को पैकेज की मांग
वहीं बांदीपोरा प्रशासन ने टीमों का गठन कर बागों के नुकसान का जायजा लेना भी शुरू कर दिया है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी बांदीपोरा से सीख लेते हुए अन्य जिलों में जायजा लिए जाने को कहा है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी राज्य प्रशासन से किसानों की मदद को आगे आने और बागबानों को हुए नुकसान की भरपाई करने को कहा है। उन्होंने केंद्र से भी फल उत्पादकों के लिए पैकेज घोषित किए जाने की मांग की।

पीडीपी विधायकों अब्दुल रहमान वीरी, हसीब द्राबू और एजाज अहमद मीर ने भी किसानों को पहुंचे नुकसान का मामला उठाया। उन्होंने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से नुकसान की भरपाई का आग्रह किया है। जेएंडके किसान तहरीक के महासचिव गुलाम नबी मलिक ने प्रभावितों को मुआवजे के साथ ही कश्मीर घाटी में क्राप इंश्योरेंस स्कीम लागू करने और हार्टिकल्चर इंडस्ट्री को भी इसमें शामिल किए जाने की मांग की।

करीब 30 फीसदी फसल तोड़ी जानी बाकी थी
कश्मीर घाटी के खास तौर पर दक्षिणी जिलों में अभी करीब 20-30 फीसदी फसल तोड़ी जानी बाकी थी। बड़ी संख्या में सेब बागानों में पैकिंग के लिए डाले गए थे। बे-मौसमी बर्फबारी की वजह से यह सब चौपट हो गया।