नयी दिल्ली। बाजार नियामक सेबी ने कृषि जिंस डेरिवेटिव कारोबार पर प्रति एक्सचेंज एक लाख रुपये का नियामकीय शुल्क लगाने के लिये रूपरेखा तैयार की है। सेबी के इस कदम से किसानों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है। सेबी ने कारोबार के विभिन्न स्लैब पर शुल्क लगाने के बजाय प्रति एक्सचेंज समूचे कृषि डेरिवेटिव कारोबार पर यह एकमुश्त शुल्क लगाने का फैसला किया है।
सेबी निदेशक मंडल की पिछले महीने बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। सरकार, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और एक्सचेंज सभी कृषि जिंस में वायदा कारोबार को बढ़ावा देने के लिये अनेक कदम उठा रहे हैं ताकि इस तरह के बाजार में होने वाले सौदों का लाभ किसानों और किसानों के उत्पादक संगठनों तक पहुंचाया जा सके।
नियामक ने बुधवार को अधिसूचना में कहा, “मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों को कृषि जिंस डेरिवेटिव सौदे पर एक लाख की नियामकीय फीस का भुगतान करना होगा।” सेबी के निदेशक मंडल ने पिछले महीने कहा था कि कृषि जिंस वायदा कारोबार करने वाले एक्सचेंजों को किसानों और उनके उत्पादक संगठनों को फीस कम रखने का फायदा पहुंचाने के लिये एक अलग कोष बनाना होगा।
सेबी ने इस संबंध में सेबी (शेयर बाजारों पर नियामकीय फीस) नियमन में संशोधन किया है जो कि एक अप्रैल 2018 से अमल में आ गये हैं।