नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से समय सीमा में छूट नहीं मिलने के बाद अमेजन, अलीबाबा और व्हाट्सएप समेत करीब 80 फीसदी कंपनियों ने पेमेंट संबंधी आंकड़े देश में ही रखने (डाटा स्थानीयकरण) की बैंक की शर्तों को पूरा कर लिया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, कुछ कंपनियों का कहना है कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड कंपनियों द्वारा नियमों का पालन किया जाना बाकी है, लिहाजा उन्हें थोड़ा और समय दिया जाए।
अप्रैल में केंद्रीय बैंक ने ग्लोबल पेमेंट कंपनियों को भारतीय ग्राहकों के लेनदेन का डाटा भारत में स्टोर करने के लिए छह महीने का समय दिया था। कुछ ग्लोबल वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों ने आरबीआई से कुछ और मोहलत मांगी है। सूत्रों के मुताबिक, डाटा स्थानीयकरण को लेकर आरबीआई अधिसूचना की समीक्षा को लेकर कोई विचार नहीं कर रहा है।
आरबीआई मंगलवार से केस दर केस के आधार पर चीजों को देखेगा। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि शर्तों का अनुपालन नहीं होने पर कोई कार्रवाई करेगा या जुर्माना लगाएगा। कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा पेमेंट संबंधी डाटा को केवल भारत में ही स्टोर करना होगा।
समर्थन में घरेलू कंपनियां
इस बीच, पेटीएम और फोनपे जैसी घरेलू पेमेंट कंपनियों ने आरबीआई के कदम का समर्थन किया है। पेटीएम ने कहा कि अहम डाटा की जानकारी किसी भी सूरत में देश से बाहर नहीं जानी चाहिए, प्रोसेसिंग के लिए भी नहीं। वहीं फोनपे ने कहा कि हमने आरबीआई को सूचित कर दिया है कि हमारा डाटा सिस्टम पूरी तरह स्थानीय है। हमने समयसीमा के भीतर इस काम को पूरा किया है।
गूगल ने मांगा और समय
इस बीच, गूगल भी डाटा स्थानीयकरण की शर्त मानने को तैयार हो गया है, लेकिन इसे पूरा करने के लिए दिसंबर तक का समय मांगा है। इस बीच, कुछ लोगों का मानना है कि इस फैसले से कंपनियों के भारत में बिजनेस करने पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
वहीं ई कॉमर्स साइट अमेजन ने कहा कि सभी देशों में जहां हम व्यापार करते हैं, वहां के स्थानीय कानून और नियमों के मुताबिक काम करना हमारी प्राथमिकता है। हम इस मुद्दे पर नियामकों के साथ मिलकर काम करेंगे।