नई दिल्ली। बेनामी संपत्ति अथॉरिटी के अधिकारी सिर्फ अपनी जानकारी के आधार पर आपको नोटिस भेज सकते हैं। एक बार नोटिस आने के बाद उस जांच से निकलना आसान नहीं होगा। नोटिस आने के बाद से जांच के 90 दिनों के दौरान उस संपत्ति का इस्तेमाल भी आप नहीं कर पाएंगे। अधिकारी के नोटिस आने के बाद यह साबित करना आपका काम होगा कि आपकी संपत्ति बेनामी नहीं है। आगे की कार्रवाई अथॉरिटी के वरिष्ठ अधिकारी के फैसले पर निर्भर करेगी।
मनी लंड्रिंग मामलों के अधिवक्ता सुबोध कुमार पाठक कहते हैं, बेनामी संपत्ति से जुड़ी अथॉरिटी के अधिकारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के तर्ज पर काम करेंगे। उन्होंने बताया कि ईडी के अधिकारी अपनी जानकारी के आधार पर पहले आपको नोटिस देकर बुलाते हैं।
आपकी जांच करते हैं, आपसे आपकी प्रोपर्टी की डिटेल मंगाते हैं और आपकी प्रोपर्टी के अटैचमेंट आर्डर पास कर देते हैं। ईडी अथॉरिटी उस अधिकारी की कार्रवाई को सर्टिफायड कर देता है तो आगे की कार्रवाई चलती है।
पाठक ने बताया कि ऐसे ही बेनामी संपत्ति के प्राधिकरण के अधिकारियों को अधिकार दिया गया है। एक्ट में जो प्रावधान दिए गए हैं उसके हिसाब से अधिकारी बेनामी संपत्ति के मामले में अपनी जानकारी के आधार पर बेनामी संपत्ति को लेकर नोटिस भेज सकता है।
क्या हो सकता है नोटिस के बाद
एक्ट के मुताबिक अधिकारी को लगता है कि फलां संपत्ति बेनामी है तो उस मामले में नोटिस भेजे जाने से लेकर अगले 90 दिनों तक उस संपत्ति को अलग रखा जाएगा। हाल ही में सरकार ने बेनामी संपत्ति की जानकारी देने वालों को एक करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा की है। बेनामी संपत्ति कानून को लागू कर दिया गया है, लेकिन इससे जुड़े प्राधिकरण का गठन अब तक नहीं हो सका है। जल्द ही, प्राधिकरण गठित करने का काम आरंभ हो सकता है।
एक्ट के हिसाब से क्या है बेनामी
कोई भी प्रोपर्टी जिसे लेकर यह समझा जाए कि जिसके नाम पर यह प्रोपर्टी है, उसकी खरीदारी के लिए उस व्यक्ति ने नहीं बल्कि किसी अन्य ने भुगतान किया है और भुगतान करने वाले व्यक्ति ने तत्काल व भविष्य में अपने फायदे को ध्यान में रखते हुए भुगतान किया है।
बच्चे या पत्नी के नाम पर खरीदी संपत्ति बेनामी नहीं:
लेकिन अगर किसी व्यक्ति ने अपने बच्चे या पत्नी के नाम पर या अपने भाई-बहन के नाम पर संपत्ति की खरीदारी की है और संपत्ति खरीदारी के भुगतान का माध्यम सही है तो उसे बेनामी नहीं माना जाएगा।