मुंबई। दलहन फसलों की कीमतों में लगातार नरमी बनी हुई है। खरीफ सीजन के मूंग की आवक शुरू होने से कीमतों में और गिरावट की आशंका जताई जा रही है। महाराष्ट्र सरकार खरीफ सीजन की दलहन फसलों की खरीद अगले महीने से करने जा रही है। फिलहाल बाजार में दलहनी फसलें सरकार द्वारा तय भाव से करीब 35 फीसदी कम पर बिक रही हैं।
कारोबारी कीमतों में सुधार न होने की वजह मौजूदा नीति और पहले के भंडार को मान रहे हैं। सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मूंग और उड़द खरीदेगी। बाजार भाव सरकार द्वारा तय किए गए मूल्य से औसतन 33-34 फीसदी कम है जबकि कई जगह मूंग और उड़द के दाम 40 फीसदी से भी कम हैं।
केंद्र सरकार ने इस साल खरीद सीजन की मूंग का एमएसपी 6,975 रुपये, उड़द का 5,600 रुपये और अरहर का 5,675 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। खरीफ सीजन के साथ रबी सीजन की दलहन फसल चना और मसूर की भी कीमत एमएसपी से नीचे चल रही है।
दलहन कारोबारी कांति भाई कहते हैं कि सरकार द्वारा तय किए गए भाव में तो कोई खरीदने वाला नहीं है क्योंकि पहले से ही स्टॉक पड़ा है। ऐसे में नई आवक शुरू होने से कीमतों में 10 फीसदी तक की और गिरावट आएगी। कीमतों में गिरावट की वजह पैदावार अच्छी होना और पहले से जमा स्टॉक को माना जा रहा है।
हालांकि कुछ कारोबारियों का कहना है कि इसकी प्रमुख वजह सरकार की गलत नीतियां हैं। सरकार कई राज्यों में सस्ते में दाल बेचती है। सार्वजनिक कंपनी नेफेड उत्पादक राज्यों में एमएसपी से आधे दाम पर दालें बेच रही हैं।
जब सरकार सस्ती दाल दे रही है तो किसान से महंगी दाल कोई क्यों खरीदेगा? महाराष्ट्र सरकार अगले महीने से सरकारी मूल्य पर खरीद करने जा रही है जिससे माना जा रहा है कि कीमतों में सुधार होगा।
हालांकि कृषि मामलों के जानकार कहते हैं कि इसका मंडियों पर कोई फर्क नहीं पडऩे वाला है बल्कि सरकारी निगरानी कमजोर पड़ी तो सस्ते दाम पर खरीदी गई दाल को लोग सरकार को एमएसपी पर बेच देंगे और किसान फिर भी अपनी उपज लिए बैठे रह जाएंगे। वर्ष 2017-18 के खरीफ सीजन की नई नीति के मुताबिक कुल उत्पादन के 25 फीसदी की खरीद सरकार करेगी।