नई दिल्ली। रुपये में भारी गिरावट की वजह कहीं सटोरिये तो नहीं। कुछ एक्सपर्ट ने अब सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि रुपए में इतनी गिरावट सिर्फ इकोनॉमिक वजहों से नहीं आ रही है। कुछ लोग जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं और सरकार को इसकी भनक भी नहीं लग पाई है। मोदी सरकार को इस गिरावट की निगरानी करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) के सदस्य रतिन रॉय ने रुपए की गिरावट पर शुक्रवार को एक ब्लॉग लिखा है। इस ब्लॉग में उन्होंने रुपए पर कड़ी नजर रखने को कहा है। रॉय के मुताबिक, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सालाना 4-6 प्रतिशत के दायरे में गिरे तो समझ में आता है, लेकिन यह इस समय इस सीमा से अधिक कमजोर हो गया है।
एक साल में 13 फीसदी कमजोर हुआ रुपया
बता दें कि रुपया इस हफ्ते 72 रुपये प्रति डॉलर के ऐतिहासिक लेवल से भी नीचे आ चुका है। इस साल जनवरी से बात करें तो रुपए में अब तक करीब 13 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी जा चुकी है। राय के मुताबिक, भारत ने एक्सचेंज रेट मार्केट का प्रबंधन अब तक काफी अच्छे तरीके से किया है। मतलब साफ है कि रुपए में गिरावट के पीछे कोई और वजह है।
सटोरिये रुपए को कर रहे कमजोर
रतिन के मुताबिक, रुपए को कमजोर करने के पीछे पीछे सटोरियों का हाथ हो सकता है। उन्होंने कहा कि रुपए की हालिया गिरावट का कारण सट्टेबाजों द्वारा रुपए को कमजोर करने की कोशिश तथा डॉलर की मजबूती के कारण मांग में कमी हो सकती है।
रतिन ने कहा कि इसके चलते रुपए पर कड़ी निगरानी जारी रखने की जरूरत है। अभी तक स्थिति को काफी अच्छे से मैनेज किया गया है। यह तार्किक तौर पर स्वीकार्य है कि रुपये में सालाना 4-6 प्रतिशत की गिरावट आए। हालिया गिरावट इस दायरे से बाहर है।
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है।
को काफी अच्छे से मैनेज किया गया है। यह तार्किक तौर पर स्वीकार्य है कि रुपये में सालाना 4-6 प्रतिशत की गिरावट आए। हालिया गिरावट इस दायरे से बाहर है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है।
सरकार के आश्वासन के बाद मजबूत हुआ रुपया
बता दें कि शुक्रवार को सरकार के आश्वासन के बाद शुरुआती कारोबार में रुपया 50 पैसे मजबूत होकर 71.68 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया। उन्होंने हालात का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री की शनिवार को बैठक भी होने जा रही है। माना जा रहा है कि इसमें रुपए को मजबूत करने के अन्य उपायों पर भी चर्चा होगी।
रुपए के कमजोर होने से सठोरियों को कैसे फायदा
आम तौर पर सठोरिए ऊंची कीमत पर रुपए को शॉट कर देते हैं। जबकि कम कीमत पर खरीदते हैं। इसके चलते उनकी कमाई बढ़ जाती है। इसी तरह एक्सपोर्टर भी गिरते रुपए से कमाई कर रहे हैं। क्योंकि महंगा डॉलर उनके माल की वैल्यू को भारतीय मुद्रा में बढ़ा रहा है। कोएजेंसीज की एक रिपोर्ट में इन लोगो को भी गिरते रुपए के कारणों में से एक माना गया है।