मुंबई। किशनचंद चेलाराम कॉलेज में अमूमन छात्रों की भीड़ रहती है लेकिन गुरुवार को इसे किले में तब्दील किया गया था। यहां आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की वार्षिक आम बैठक होने जा रही थी, जिसमें शेयरधारकों को यह फैसला करना था कि चंदा कोचर कंपनी की निदेशक बनी रहेंगी या नहीं।
कंपनी की चेयरपर्सन चंदा कोचर वीडियोकॉन ऋण मामले में जांच के कारण अभी छुट्टी पर हैं और उन्होंने एजीएम में हिस्सा नहीं लिया लेकिन उनकी जगह बरकरार रही। सूत्रों के मुताबिक आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में 79.2 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले आईसीआईसीआई बैंक ने कोचर को फिर से निदेशक नियुक्त करने के लिए लाए गए आम प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया।
कम से कम दो प्रॉक्सी कंपनियों ने निवेशकों को प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने की सलाह दी थी क्योंकि इससे कंपनी को नियामकीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता। खबर लिखे जाने तक आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने मतदान के लिए रखे गए विभिन्न प्रस्तावों के वोटिंग पैटर्न का खुलासा नहीं किया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि आईसीआईसीआई की बहुलांश हिस्सेदारी को देखते हुए इस प्रस्ताव का नामंजूर होना मुश्किल था। कंपनी के आईपीओ में निवेश करने वाले एक फंड मैनेजर ने कहा, ‘अभी यह देखना बाकी है कि गैर प्रवर्तक शेयरधारकों ने किस तरह मतदान किया क्योंकि इससे प्रबंधन को कड़ा संदेश जाएगा।’
कोचर पर वीडियोकॉन समूह को दिए गए ऋण के मामले में हितों के टकराव के आरोप हैं। इस मामले की जांच चल रही है। वीडियोकॉन समूह के कोचर के पति दीपक कोचर के साथ कारोबारी संबंध थे।
अमेरिका की प्रॉक्सी फर्म ग्लास लुइस ने आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के शेयरधारकों को चंदा कोचर को फिर से कंपनी का निदेशक बनाए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ वोट की सलाह दी थी।
दो घंटे तक चली शेयरधारकों की बैठक में अधिकांश शेयरधारकों ने कंपनी के शेयरों की कीमत में आई तेज गिरावट पर चिंता जताई और प्रबंधन से बोनस शेयर जारी करने के लिए मजबूत नकदी वाले बहीखाते का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया।
अधिकांश शेयरधारकों ने बैठक में कोचर की गैरमौजूदगी पर नाराजगी व्यक्त की। कोचर की नियुक्ति के प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने वाले 75 साल के किशोरचंद पांचार ने कहा कि अगर कोछड़ बैठक में मौजूद होतीं तो अच्छा होता।
वह उनके खिलाफ हाल में लगे आरोपों पर अपनी नाराजगी व्यक्त करना चाहते थे। वोट दिए बिना बैठक से जल्दी बाहर आ गए बंबई शेयरहोल्डर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एसके पटेल ने कहा, ‘प्रबंधन का गुणगान करने के बजाय शेयरधारक कई अन्य गंभीर मुद्दों को उठा सकते थे।’
उन्हें लगा कि उनके वोट से कोई फर्क नहीं पड़ेगा इसलिए उन्होंने प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया। इस साल अप्रैल में सूचीबद्घ होने के बाद आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की यह पहली बैठक थी।