नई दिल्ली । फाइनेंशियल ईयर 2015-16 और 2016-17 के लिए वित्तीय जानकारी नहीं दिए जाने वाली कंपनियों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करने का मन बना चुकी है। शुक्रवार को सरकार ने बताया कि वह 2015-16 और 2016-17 की वित्तीय जानकारी नहीं देने वाली 225,000 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय इससे पहले लगातार दो सालों तक वित्तीय जानकारी छिपाने और रिटर्न नहीं देने वाली 226,000 कंपनियों के रजिस्ट्रेशन को रद्द कर चुका है। काले धन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सरकार ने इन कंपनियों के रजिस्ट्रेशन को रद्द करते हुए उनके बैंक खातों से होने वाले लेन-देन पर रोक लगा रखी है।
शेल कंपनियां काले धन के लेन-देन और टैक्स की चोरी करने को लेकर संदेह के दायरे में रही हैं। लोकसभा को दी गई लिखित जानकारी में कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री पी पी चौधरी ने बताया, ‘कंपनी एक्ट की धारा 248 के तहत वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान कुल 225,910 कंपनियों की पहचान की गई है, जिन्होंने वित्त वर्ष 2015-16 और 2016-17 के लिए रिटर्न फाइल नहीं किया है।’
उन्होंने कहा, ‘इन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाने से पहले रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) जरूरी कार्रवाई करेगा।’ कंपनी अधिनियम की धारा 248 सरकार को कई आधार पर कंपनियों के रजिस्ट्रेशन को रद्द करने का अधिकार देती है। इससे पहले मंत्रालय की तरफ से सामने आए आंकड़ों के मुताबिक भारत में रजिस्टर्ड कुल 17.79 लाख कंपनियों में से करीब 66 कंपनियां ही जून 2018 के अंत तक सक्रिय थीं।
शेल कंपनियों के खिलाफ जारी कार्रवाई के बीच आया यह आंकड़ां चौंकाने वाला था। मंत्रालय के मुताबिक 30 जून तक करीब 11.89 लाख कंपनियां ही सक्रिय थीं। सक्रिय कंपनियों की श्रेणी में उन्हें रखा जाता है जो लगातार लेन-देन करती हैं और समय-समय पर स्टॉक एक्सचेंज को वित्तीय जानकारी मुहैया कराती रहती हैं।