नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुुए रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी का इजाफा किया है। जिसके बाद रेपो रेट अब 6.5 फीसदो हो गयी है जबकि रिवर्स रेपो रेट 6.75 फीसदी हुई है। जानकारों की मानें तो रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर लोगों के ईएमआई पर पड़ सकता है। इससे घर और होम लोन भी महंगा हो सकता है। इससे पहले जून में आरबीआई ने चार साल से भी ज्यादा समय बाद रेट बढ़ाया था।
देश में जून में कंज्यूमर प्राइसेज में सालभर पहले के मुकाबले 5 पर्सेंट इजाफा दर्ज किया गया था। मई में 4.87 पर्सेंट बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। रिटेल इंफ्लेशन अब लगातार तीसरे महीने बढ़ने की राह पर है। जून पॉलिसी में आरबीआई ने कहा था कि भविष्य में रेट बढ़ाने का कदम कृषि उपज के समर्थन मूल्य, क्रूड प्राइस मूवमेंट और सरकारी कर्मचारियों को ज्यादा भत्तों के असर से तय होगा।
कच्चे तेल के दाम पिछले कुछ समय से बढ़ रहे हैं। इस कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी बढ़ी हैं। इसका असर भी महंगाई पर हो रहा है। जून की पॉलिसी के बाद से हालांकि कच्चे तेल में बड़ी हलचल नहीं हुई है। आगे कच्चे तेल के दाम ऐसे ही रहेंगे कहा नहीं जा सकता है। क्रूड के दाम बढ़े तो इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा। महंगाई बढ़ने पर रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी को क्रेडिट पॉलिसी में दरें बढ़ानी पड़ेंगी।
जून पॉलिसी में आरबीआई ने अनुमान जताया था कि इस फाइनेंशियल ईयर में सीपीआई इंफ्लेशन अप्रैल-सितंबर के बीच 4.8-4.9 पर्सेंट और अक्टूबर-मार्च के बीच 4.7 पर्सेंट रह सकती है।
उसने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के एचआरए से पड़ने वाले असर को इसमें शामिल किया था और महंगाई के सिर उठाने का अंदेशा जताया था।
रुपये में कमजोरी भी महंगाई को हवा देने वाली स्थिति बना रही है क्योंकि मार्केट में करेंसी सप्लाई बढ़ रही है। 20 जुलाई को डॉलर के मुकाबले रुपया 69.13 के रिकॉर्ड लो लेवल पर चला गया था। इस कैलेंडर ईयर में रुपया 7 पर्सेंट से ज्यादा गिर चुका है।