इंट्रा स्टेट ई-वे बिल से व्यापारी और ट्रांसपोर्टर परेशान

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जयपुर। जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बनता जा रहा है ई-वे बिल। एक ही शहर में जॉब वर्क के लिए भेजे जाने वाले ई-वे बिल की अनिवार्यता के कारण व्यापार की गति मंथर पड़ गई है। सरकार या जीएसटी से जुड़े अधिकारी भले ही कुछ भी दावा करे, लेकिन कारोबार का आंकड़ा कम होता जा रहा है।

राज्य में ई-वे बिल व्यवस्था लागू होने के कारण हर माह चार सौ करोड़ रुपए का कारोबार कम हो गया है और साल के अंत तक यह आंकड़ा 5000 करोड़ तक पहुंचने की आशंका है। कारोबार में कमी का सबसे अधिक प्रभाव छोटे व्यापारियों पर आया है।

जॉब वर्क वाले व्यापार-उद्योग यथा टैक्सटाइल्स, रंगाई-छपाई कारखाने, गारमेंट, बीड़ी उद्योग, सहित कई उद्यम इससे प्रभावित हैं। कच्चे माल को जॉब वर्क के लिए भेजना हो या तैयार माल को फैक्ट्री या प्रतिष्ठान को भेजने हो या बेचने के लिए भेजना हो, सभी के लिए ई-वे बिल जरूरी है। सर्वर डाउन होने या इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने से ई-वे बिल बनने में देरी होने पर माल लदान के बाद भी वाहन खड़े रहते हैं।

इसलिए लगाया ई-वे बिल
जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद टैक्स की चोरी रोकने के नाम पर ई-वे बिल व्यवस्था शुरू की है। इसमें व्यापारी को अपने कच्चे या पक्के, तैयार या जॉब वर्क के लिए जाने वाले हर माल का ई-वे बिल बनाना होगा। इसमें किसी प्रकार का टैक्स नहीं है, लेकिन इसके जरिए जीएसटी विभाग हर गतिविधि पर अॉन लाइन नजर रख रहा है। अभी ई-वे बिल नहीं होने की दशा में अधिकारी समझाइश कर रहे हैं, बाद में कोई व्यवस्था लागू हो सकती है।

ई-वे बिल नहीं तो माल रवाना नहीं : किसी उत्पाद को जॉब वर्क के लिए भेजने सर्वर डाउन होने या इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने पर ई-वे बिल बनेंगे नहीं और माल रवाना नहीं हो सकेगा। इस देरी से तैयार माल मिलने में विलंब संभव है। इसका असर कारोबार की रफ्तार पर आता है। कंप्यूटर, दक्ष कर्मचारी की व्यवस्था करना, माल भेजने पर ई-वे बिल बनाना आदि अतिरिक्त कामों से व्यापारी परेशान है।

ट्रांसपोर्टर परेशान :राजस्थान ट्रक ट्रांसपोर्ट अॉपरेटर्स यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष वेद भूषण सेठी का कहना है कि ई-वे बिल ट्रांसपोर्टरों के लिए अतिरिक्त आर्थिक बोझ वाला काम हो गया है। शहर से बाहर माल भेजने के लिए ई-वे बिल में ए-पार्ट व्यापारी भरेगा और बी-पार्ट ट्रांसपोर्टर को भरना होता है। अगर एक ट्रक में पचास व्यापारियों के अलग-अलग सामान है और उनको अलग-अलग स्थानों पर जाना है तो ट्रांसपोर्टर को सबका अलग ई-वे बिल बनाना होगा।

रियायत दी जाए :फोर्टी के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल का कहना है कि किसी भी शहर में नगरीय निकाय सीमा क्षेत्र में माल आवागमन के लिए ई-वे बिल की आ‌वश्यकता को मुक्त करें। साथ ही माल की कीमत की न्यूनतम सीमा 50,000 रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए तक किया जाए। जीएसटी विशेषज्ञ सीए कैशव गुप्ता के अनुसार राज्य सरकार काे छोटे व्यापारियों की व्यावहारिक दिक्कतों का हल निकालने की पहल करनी चाहिए।

परेशान होने की जरूरत नहीं : ई-वे बिल से व्यापारियों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इससे व्यापार बल्कि और आसान होगा। कुछ राज्यों ने इसे हटा दिया और कुछ राज्यों में लागू है, ऐसा नहीं होना चाहिए। व्यापारियों के हित में बेहतर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार में मंथन चल रहा है। –राजपाल सिंह शेखावत, उद्योग मंत्री, राजस्थान सरकार