कोटा । पर्यावरण के लिए मुसीबत बनी कोटा स्टोन स्लरी से भविष्य में आसानी से निजात मिल सकेगी। अब स्मार्ट सिटी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत कोटा में स्लरी से टाइल्स बनाने का प्लांट इंद्रप्रस्थ इंडस्ट्रियल क्षेत्र में रोड नंबर 6 पर स्थापित हो चुका है। जहाँ डिमांड के अनुसार खूबसूरत रंगीन टाइल्स और ब्लॉक बनाये जा रहे हैं।
पाषाण वेलफेयर सोसायटी के डायरेक्टर मुकेश त्यागी ने हमारे चैनल www.lendennews-ee4f51.ingress-erytho.ewp.live को बताया कि पत्थरों की घिसाई के बाद इन कारखानों से हर रोज 20 से 25 टन स्लरी निकलती है। दशकों से खुले में फेंकी जा रही स्लरी जब पर्यावरण के लिए खतरा बनने लगी तो राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के निर्देश पर रीको ने इंडस्ट्रीयल एरिया में डम्पिंग यार्ड तैयार किया। लेकिन इसके बाद भी स्लरी की समस्या खत्म नहीं हुई तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) के साथ इसका समाधान तलाशने के लिए करार किया।
तकनीक विकास पर खर्च हुए 70 लाख
सीबीआरआई के ऑर्गेनिक बिल्डिंग मैटेरियल ग्रुप की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रजनी लखानी और उनकी टीम ने दो साल तक चले शोध के बाद कोटा स्टोन स्लरी से बेहद सस्ते और टिकाऊ रेडी फॉर यूज टाइल्स और पेवर ब्लॉक टाइल्स बनाने में सफलता हासिल की।