नई दिल्ली। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने शुक्रवार को वडोदरा बेस्ड डायमंड पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआईएल) के 2,654 करोड़ रुपए के कथित लोन फ्रॉड मामले में बैंक ऑफ इंडिया के दो सीनियर रिटायर्ड अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। इन अधिकारियों पर लोन फ्रॉड में लिप्त होने का आरोप है।
गलत तरीके से क्रेडिट लिमिट देने का आरोप
जांच एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि बैंक ऑफ इंडिया के रिटायर्ड जीएम वीवी अग्निहोत्री और डीजीएम पीके श्रीवास्तव पर कंपनी को गलत तरीके से क्रेडिट लिमिट देने का आरोप है। उन्होंने कहा कि दोनों ही पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें शनिवार को अहमदाबाद में स्पेशल कोर्ट के सामने पेश कर दिया जाएगा। कंपनी के प्रमोटर इस साल अप्रैल में गिरफ्तार कर लिए गए थे।
2016-17 में एनपीए घोषित हो चुका है लोन
एजेंसी ने एक एफआईआर में कहा था कि इलेक्ट्रिक केबल्स और इक्विपमेंट बनाने वाली डीपीआईएल को प्रमोटर्स में सुरेश नारायण भटनागर और उनके बेटे अमित व सुमित शामिल हैं, जो कंपनी में डायरेक्टर भी हैं। कंपनी से संबंधित लोन को 2016-17 में नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स घोषित कर दिया गया था।
एजेंसी ने कहा, ‘आरोप है कि डीपीआई ने अपने प्रबंधन के माध्यम से 2008 से ही गलत तरीके से 11 बैंकों (सरकारी और प्राइवेट दोनों) से क्रेडिट फैसिलिटीज ले रखी थीं। 29 जून, 2016 तक उन पर कर्ज बढ़कर 2,654 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था।’ 2007-08 के दौरान अग्निहोत्री वडोदरा स्थित बैंक ऑफ इंडिया के जोनल ऑफिस में एजीएम थे और श्रीवास्तव डीजीएम थे।
सीबीआई के स्पोक्सपर्सन अभिषेक दयाल ने कहा, ‘दोनों ने ही वर्ष 2008 में गलत तरीके से वडोदरा बेस्ड प्राइवेट फर्म की वर्किंग कैपिटल लिमिट को स्वीकृति दे दी थी। दोनों ही अधिकारियों पर आरोप है कि वे बैंक की गाइडलाइंस का उल्लंघन करके वर्किंग कैपिटल लगभग 53.40 करोड़ रुपए की प्रोसेसिंग और सिफारिश के लिए जिम्मेदार थे।’
अप्रैल में जब्त की थी 1122 करोड़ रुपए की संपत्ति
ईडी ने इसी साल अप्रैल में पीएमएलए के तहत डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रमोटरों की लगभग 1,122 करोड़ रुपए की संपत्तियों को जब्त किया है। सीबीआई ने 18 अप्रैल को राजस्थान के उदयपुर से तीनों प्रमोटर्स को गिरफ्तार किया था।
इन बैंकों से लिया था कर्ज
कर्ज देने वालों की सूची में बैंक ऑफ इंडिया 670.51 करोड़ रुपए के साथ शीर्ष पर, इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा (348.99 करोड़ रुपए), आईसीआईसीआई (279.46 करोड़ रुपए), एक्सिस बैंक (255.32 करोड़ रुपए), इलाहाबाद बैंक (227.96 करोड़ रुपए), देना बैंक (177.19 करोड़ रुपए), कॉरपोरेशन बैंक (109.12 करोड़ रुपए), एग्जिम बैंक ऑफ इंडिया (81.92 करोड़ रुपए), आई–बी (71.59 करोड़ रुपए) व आईएफसीआई (58.53 करोड़ रुपए) शामिल हैं।
साजिश में शामिल थी कंपनी
सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि डीपीआईएल अपने संस्थापकों व निदेशकों के जरिए विभिन्न बैंकों के अज्ञात बैंक अधिकारियों के साथ आपराधिक साजिश में शामिल रही है। डीपीआईएल ने इन बैंकों के साथ फर्जी खातों, फर्जी दस्तावेजों के जरिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी की है।