नई दिल्ली । भारतीय शेयर बाजार सहित तमाम एशियाई बाजारों में मिले जुले संकेत देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में भारतीय शेयर बाजार की चाल घरेलू और वैश्विक कारकों पर निर्भर करेगी। गौरतलब है कि घरेलू के साथ-साथ वैश्विक कारक बाजार की चाल को सपोर्ट नहीं कर रहे हैं। मंगलवार को जापानी एजेंसी नोमुरा की आई रिपोर्ट भी आने वाले दिनों में शेयर बाजार में होने वाली उठापटक की तरफ इशारा करती है।
एस्कॉर्ट सिक्योरिटी हेड रिसर्च आसिफ इकबाल ने बताया कि आने वाले दिनों में कच्चा तेल, रुपया, महंगाई दर और ब्याज दर से बाजार की चाल तय होगी। हालांकि इकबाल का मानना है कि नियर टर्म में बाजार के लिए सकारात्म ट्रिगर कंपनियों के अर्निंग के नतीजे रहेंगे।
अगले एक से दो हफ्ते के बीच भारतीय कंपनियों की पहली तिमाही के नतीजे आने शुरू होंगे, जो बाजार के लिए सबसे अहम ट्रिंगर होगा। इकबाल ने कहा कि कि जहां तक वैश्विक स्थिति में ट्रेड वार की बात है, तो यह पूरे साइकिल को प्रभावित करेगा, जिसके दायरे में घरेलू कारक भी आएंगे।
उन्होंने कहा, ”ट्रेड वार की स्थिति में आपूर्ति प्रभावित होगी, जो महंगाई को भड़काएगी और फिर इसे कम करने के लिए आरबीआई ब्याज दरों में इजाफा करेगा।” इस पूरी प्रक्रिया का नतीजा करेंसी की चाल को भी प्रभावित करेगा, जो पहले से ही बेहद दबाव में है।
क्रूड ऑयल और भारतीय रुपया विदेशी बाजार में कच्चे तेल का भाव 43 महीने के उच्चतम स्तर पर है। अमेरिकी क्रूड ऑयल करीब 75 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर है। यह भाव नवंबर 2014 के बाद से उच्चतम है। वहीं ब्रेंट क्रूड के दाम 78 डॉलर प्रति बैरल है।
जानकारी के लिए बता दें कि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया दबाव में है, जिसकी वजह से तेल कंपनियों की विदेश से क्रूड खरीदने की लागत भी बढ़ गई है। परिणाम स्वरूप घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के दामों में तेजी आ सकती है। तेल कंपनियां कच्चा तेल आयात करने के लिए डॉलर में भुगतान करती हैं।
मजबूत होते डॉलर के चलते कंपनियों को ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ते हैं। मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे कमजोर 68.96 के स्तर पर खुला है। जबकि सोमवार को यह 34 पैसे गिरकर पांच वर्ष के निम्नतम स्तर 68.80 पर बंद हुआ था। इकबाल का मानना है, ”अगर डॉलर के मुकाबले रुपया 70 का स्तर पार करता है तो यह शेयर बाजार के लिए नकारात्मक साबित हो सकता है।”
आने वाले दिनों में सांख्यिकी विभाग की ओर से जून महीने के लिए थोक (डब्ल्यूपीआई) और खुदरा (सीपीआई) महंगाई के आंकड़ें जारी किये जाने वाले हैं। हालांकि औद्योगिक उत्पादन के भी नंबर्स आएंगें लेकिन शेयर बाजार की दिशा तय करने के लिहाज से WPI और CPI अहम रहेंगे।बढ़ती हुई ब्याज दरों के बीच अगर महंगाई दर बढ़ती है तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भारतीय शेयर बाजार के रुझान को यह प्रभावित कर सकता है।
चीनी युआन में कमजोरी
ट्रेड वार की बढ़ती चिंताओं के चलते डॉलर के मुकाबले चीनी युआन बीते साल अगस्त के बाद पहली बार 6.70 के स्तर पर आ गया है। मंगलवार को सुबह के कारोबार में युआन 6.73 प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा था जो कि सोमवार के बंद स्तर से 0.7 फीसद नीचे था।
बीते वर्ष आठ अगस्त को युआन 6.70 के स्तर पर देखा गया था। जानकारी के लिए बात दें कि युआन में बीते 14 दिनों से गिरावट जारी है। 13 जून से अबतक इसमें 5.4 फीसद की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। चीन दुनिया के बड़े निर्यातक देशों में से एक है। अगर उसकी करंसी में कमजोरी आती है तो इससे अन्य उभरते देशों की मुद्रा भी प्रभावित होगी। लेकिन अगर चीन अपने युआन का अवमूल्यन नहीं करेगा तो उसके निर्यात पर असर होगा।