नई दिल्ली। GST, इंटेलिजेंस के डीजी जॉन जोसफ ने कहा कि इन्वेस्टिगेशन विंग ने दो महीने के भीतर 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की टैक्स चोरी का पता लगाया है, लेकिन यह बहुत कम है। डाटा विश्लेषण से पता चला है कि अब तक GST में रजिस्टर्ड 1.11 करोड़ से अधिक कारोबारियों में सेे केवल 1 फीसदी कारोबारी 80 फीसदी टैक्स का भुगतान करते हैं।
जॉन जोसेफ, जो CBEC के सदस्य भी हैं ने कहा कि छोटे कारोबारी तो जीएसटी रिटर्न दाखिल करते समय गलतियां कर ही रहे हैं, बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़े कॉरपोरेट भी गलती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास 1 करोड़ से अधिक एंटरप्राइजेज का पंजीकरण है, लेकिन यदि आप यह देखते हैं कि टैक्स कहां से आ रहा है, तो टैक्स के 80 प्रतिशत हिस्से का भुगतान करने वाले 1 लाख से भी कम लोग हैं। ऐसे में यह स्टडी करना बेहद जरूरी है कि सिस्टम में कहां खामी है।
कम्पोजिशन स्कीम का गलत फायदा
औद्योगिक संगठन एसोचैम द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए जोसफ ने कहा कि कम्पोजिशन डीलर्स के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि उनमें से अधिकतर का वार्षिक कारोबार 5 लाख रुपए का है। इससे पता चलता है कि GST को सही ढंंग से लागू करने की अभी और जरूरत है।
कम्पोजिशन स्कीम के तहत, ट्रेडर्स और मैन्युफैक्चरर्स को 1 फीसदी की कम दर पर टैक्स चुकाने की अनुमति है, जबकि रेस्तरां मालिकों को 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी भुगतान करना पड़ता है। यह योजना मैन्युफैक्चरर्स, रेस्टॉरेंंट्स और व्यापारियों के लिए खुली है, जिसका कारोबार 1.5 करोड़ रुपए से अधिक नहीं है।
फर्जी चालान हो रहे हैं तैयार
जोसफ ने कहा कि जांच से पता चला है कि योजनाबद्ध तरीके से माल के लिए फर्जी चालान तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन माल सप्लाई नहीं किया जा रहा है। इन चालानों के आधार पर, कुछ कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर रही हैं। इसके अलावा, सामान को वास्तव में एक्सपोर्ट किए बिना, कुछ कंपनियां फर्जी चालानों के आधार पर जीएसटी रिफंड का दावा कर रही हैं।
व्यापक स्तर पर कार्रवाई की तैयारी
जोसफ ने कहा, “हमने 1-2 महीने की छोटी अवधि में 2,000 करोड़ से अधिक की चोरी का पता लगाया है, जो बहुत थोड़ा है, जीएसटी इंटेलिजेंस विंग जीएसटी चोरी रोकने के लिए व्यापक स्तर पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है।