जैविक खेती की उपज के दाम तीन गुना तक : चतुर्वेदी

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कोटा,। रामकृष्ण शिक्षण संस्था एवं कंजूमर यूनिटी ट्रस्ट (कट्स) इंटरनेशनल तथा स्वीडिश सोसायटी फॉर नेचर कजर्वेशन के तत्वावधान में कोटा जिले के सुल्तानपुर उपखण्ड के ग्राम डुंगरज्या तथा लाडपुरा के मानस गांव में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए किसान चेतना कार्यक्रम आयोजित किए गए।

डूंगरज्या में कमल सरोवर द्वीप पर जैविक खेती पर बोलते हुए (कट्स) इंटानेशनल के परियोजना आधिकारी धर्मेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि गाय के गोवर से तैयार खाद से की गई जेविक खेती की उपज का मूल्य बाजार में तीन गुना तक ज्यादा मिल रहा है। जिन लोगों को अपने को कैंसर जैसी बीमारियों से बचाना है,  वे लोग जैविक खेती के उपज को मंहगे दामों पर भी खरीद रहे है। चतुर्वेदी ने किसानों के सवालों के जवाब भी दिए।

इस अवसर पर जल बिरदारी के प्रदेश उपाध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय ने कहा कि रासायनिक खाद से कृषि योग्य भूमि में ज्यादा पानी की जरूरत होती है। जैविक खाद पूर्व में गांवों की रेवड़ियों पर देखने को मिल जाता था, लेकिन आजकल रेवड़ियां कचरे के ढेर में तब्दील हो गई है।

प्लास्टिक का कचरा ज्यादा 
दीगोद के पूर्व सरपंच डॉ. एलएन शर्मा ने जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार एवं संस्थाऐं काफी प्रयास कर रही है। उन्होंने किसानों से पेडों के पत्तें से खाद बनाने की सलाह दी। कृषि विज्ञान केंद्र दीगोद के अधिकारी अमर लाल ने जैविक खेती के तरीके बताए और रासायनिक खाद व कीटनाशकों को त्यागने को कहा।

पूर्व सरपंच राम कल्याण वर्मा आदि ने भी विचार रखे। राम कृष्ण शिक्षण संस्थान के सचिव पार्षद युधिष्ठिर चानसी ने बताया कि जिले के मानस गांव में आयोजित किसान संगोष्ठी में धर्मेंद्र चतुर्वेदी ने जैविक खेती के बारे में विस्तार से बताया। कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी अमर लाल ने रासायनिक कीटनाशकों के खतरों से आगाह किया। चानसी ने किसानों को जैविक खेती करने वाले किसानों के उदाहरण दिऐ।