नई दिल्ली। चीनी का बफर स्टॉक बनाने और एक्स मिल मूल्य न्यूनतम 29 रुपए प्रतिकिलो करने के फैसले के चलते चीनी के थोक भाव में प्रति क्विंटल 150 से 200 रुपए की बढ़ोतरी हो गई है। शनिवार को चीनी एम. के दाम 20 रुपये प्रति क्विंटल तक चढ़े । औसतन एक्स मिल कीमत शनिवार को 3260 से 3430 पर रही। यूपी में चीनी का एक्स मिल प्राइस शनिवार को 3280 से 3430 रहा।
वहीं महाराष्ट्र में रेट 3,100 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दिल्ली में चीनी की कीमतें बढ़कर 3,550 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गईं। मार्केट मिरर ग्रुप के एग्री रिसर्च हेड हितेश भाला के मुताबिक, अभी चीनी की रिटेल कीमतों में 1 से 1.5 रुपए की बढ़ोतरी और हो सकती है। देश में चीनी का फुटकर रेट 34 से 40 रुपए चल रहा है।
रेट बढ़ेंगे ये कहना गलत है
ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन के चेयरमैन प्रफुल विठलानी ने कहा, ‘यह कहना गलत होगा कि चीनी के भाव बढ़ रहे हैं या बढ़ गए हैं। असल में चीनी की वाजिब फुटकर कीमत 40 से 42 के बीच होनी चाहिए। मगर ज्यादा प्रोडक्शन की वजह से आज भी उसका भाव रिटेल में 35 के आसपास है। अब रेट में जो इजाफा हो रहा है वह दरअसल करेक्शन है। जब चीनी की लागत ही औसतन 35 रुपए प्रति किलो है तो उसका 32-34 रुपए में बिकना मार्केट के लिहाज से बिल्कुल सही नहीं है।’
पिछले साल के मुकाबले 19% कम रेट
मई महीने से चीनी के रेट में इजाफा होने लगा था, क्योंकि तब तक यह तस्वीर उभरने लगी थी कि सरकार जल्द ही किसी राहत पैकेज का एलान कर सकती है। डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के मुताबिक, 8 जून को दिल्ली में चीनी का फुटकर रेट 34 रुपए प्रतिकिलो था, जबकि बीते साल इसी दिन चीनी की कीमत दिल्ली में 42 रुपए थी। यानी 2017 के मुकाबले चीनी अभी भी करीब 19 फीसदी सस्ती है।
इस बार हुआ बंपर प्रोडक्शन
आंकड़ों के मुताबिक, 30 अप्रैल 2018 तक ही देश में करीब 310.37 लाख टन चीनी का उत्पादन को चुका था, जबकि देश में चीनी की खपत करीब 250 लाख टन है। वर्ष 2016-17 मार्केटिंग सीजन में कुल 203 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस बार रिकॉर्ड प्रोडक्शन के चलते चीनी की कीमतें काफी नीचे आ गईं।
चीनी का एक्स मिल प्राइस 25.60 रुपए से लेकर 26.22 रुपए आ गया, जो कि लागत से भी कम है। इसकी वजह से चीनी मिलों के पास नकदी का संकट खड़ा हो गया और किसानों का बकाया लगातार बढ़ता गया। आज किसानों का करीब 22 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा चीनी मिलों पर बकाया हो गया है।
अगले साल संकट और बढ़ सकता है
कृषि मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई 2018 के आखिर तक करीब 4.9 मिलियन हेक्टेयर इलाके में गन्ने की बुवाई हो चुकी है। यह बीते साल की इसी अवधि के मुकाबले 1.2 फीसदी ज्यादा है। इसके बाद इस बार मानूसन भी सामान्य रहने की उम्मीद है। अभी तक उसकी चाल भी ठीक है।
अगर कुछ अप्रत्याशित घटना नहीं हुई तो इस बार गन्ने का उत्पादन 355.1 मिलियन टन (2017-18) से भी ज्यादा होगा। वहीं चीनी की मांग में केवल 4 से 5 फीसदी की बढ़ोतरी की संभावना है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन, इस्मा के डीजी अविनाश वर्मा के मुताबिक, हमारे पास 170 से 180 लाख टन का क्लोजिंग स्टॉक होगा। इसके बाद जैसा कि आंकड़े बता रहे हैं प्रोडक्शन और बढ़ेगा तो स्थिति और बिगड़ेगी।