कोटा। हाड़ौती में बाघ के पुनर्वास में प्रारम्भिक मसौदा बनाने से लेकर नेशनल पार्क और टाईगर रिजर्व तक के लम्बे प्रयासों के सारथी रहे भारतीय वन सेवा के अधिकारी एवं मुकंदरामेन वीके सलवान का कहना है कि भविष्य में हाड़ौती को बाघों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर बनाने की आवश्यकता होगी जिससे बाघ रणथम्भौर से कालीसिंध के मार्ग से दरा आ सकें या फिर बूंदी के रामगढ़ में सुरक्षित विचरण कर सकें।
सलवान ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जिन्होंने प्रबल इच्छा शक्ति से बाघ को हाड़ौती में बसाया है। सलवान ने कहा कि मुकंदरा एवं सरिस्का की परिस्थितियां अलग अलग है। चार दशक बाद मुकंदरा को विकसित करने के काम को वन विभाग को चुनौती के रूप में लेना होगा।
हाड़ौती के दरा में सुखद बात यह रही कि यहां की जनता हमेशा बाघ के पुनर्वास के पक्ष में रही है। बाघ ब्रोकनटेल 2003 में भी रणथम्भौर से यहां पैदल ही चल कर आया है। कलीसिंध वाल कॉरिडोर बाघ को बसाने में मदद करेगा गागरोन के दोनों और की पट्टी बाघ के मूवमेंट के योग्य बनाना जाए।
नदी के आसपास का क्षैत्र कॉरिडोर होने से नया क्षैत्र बाघ को मिलेगा। कॉरिडोर विकसित करने का संपूर्ण खर्च भारत सरकार उठाती है। इससे ग्रामीणों को विशेष लाभ मिलेगा,जहां जंगल पर निर्भरता कम होगी वहीं आय के स्त्रोत तथा उत्पादन व वितरण की व्यवस्था बनेगी।
बाघ यदि किसी की निजी पशु संपदा को नुकसान पहुंचाता है तो उसका त्वरित मुआवज़ा देने का प्रवधान विभाग को करना चाहिए। कॉरिडोर विकसित करने से जन उपयोगी योजनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और किसानों के अधिकार भी प्रभावित नहीं होंगे।
सलवान ने बताया कि 1988 में जवाहर लाल नेहरू जन्म शताब्दी के उपलक्ष में नेशनल पार्क का प्रस्ताव बनाया जिस पर शुहर के गणमान्य लोगों ने हस्ताक्षर किए।
लगातार जन सहयोग इस प्रयास में मिलता रहा विशेष कर मीडिया के साथियों का। उन्होंने अपने समाचार माध्यमों में इस विषय को हमेशा एकीकृत पत्रकारिता के माध्यम से जिंदा रखा।
सेवी धनेश्वर अग्रवाल, विजय सिंह चौहान, सेना के कर्नल अजीत सिंह, ब्रिगेडियर पीके नरूला, कर्नल हितेन साहनी, वैशाली सलवान, पवित्र सलवान ने तत्कालीन केंद्रीय वन मंत्री मेनका गांधी तक मामला उठाया। इनके अलावा हाड़ौती उत्सव आयोजन समिति, अकलंक स्कूल,पशु क्रूरता निवारण समिति, मिशन टाईगर लैण्ड के अलावा राजेंंद्र जैन बज राजाबाबू, पीयूष जैन के अलावा सेना के अधिकारियों ने भी हस्ताक्षर अभियान में योगदान दिया।
पीयूष जैन तो हाईकोर्ट में याचिका लेकर भी पहुंच गए थे। सलवान ने बताया कि पूर्व मंत्री व सांसद स्वर्गीय जुझार सिंह, बाद में उनके पुत्र पूर्व मंत्री भरत सिंह ने भी इसे बढ़ाया। तत्कालीन वन मंत्री रघुवीर सिंह कौशल ने भरपूर मदद की। कौशल ने दरा क्षैत्र में खनन की गतिविधियों को वन मंत्री के रूप में नियंत्रित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया।
नेशनल पार्क को बनाने में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राज्य की पर्यटन मंत्री बीना काक, महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने भी प्रयास किए। सोनिया गांधी ने दरा के जंगल की हवाई विजिट भी की। लम्बे समय से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसे गंभीरता लिया। पूर्व की सरकार ने 2012 में अधिसूचना जारी की।
इसके पूर्व नेशनल पार्क समर्थकों ने भूख हड़ताल भी की और सड़कों पर रैली भी की। सलवान ने शीर के प्रबुद्ध लोगों तथा वन विभाग के अधिकारियों के प्रति भी कृतज्ञता ज्ञापित की है जिन्होंने बाघ के पुनर्वास में ईमानदारी से मेहनत की।
हाड़ोती उत्सव आयोजन समिति के महामंत्री पंकज मेहता ने कहा कि सलवान के प्रयासों की तारीफ की जानी चाहिए। सरकार को सलवान के प्रयास भूलने नहीं चाहिए। समिति के पीयूष जैन तथा महावीर प्रसाद जैन, जेके जैन, डा .हुकुम चंद जैन डॉ.संस्कृति जैन आदि ने बाघ पुनर्वास में सलवान के योगदान को भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरक बताया।