कोलकाता/नई दिल्ली। अब कैनरा बैंक में 515 करोड़ रुपए का फ्रॉड सामने आया है। इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) की बैंकिंग सिक्युरिटी और फ्रॉड सेल के अधिकारियों ने गुरुवार को दो बिजनेसमैन गिरफ्तार किए हैं। कैनरा बैंक की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है। ‘चिराग’ नाम से कंप्यूटर बनाने वाली इस कंपनी के खिलाफ सीबीआई ने 2015 में आईडीबीआई बैंक से 180 करोड़ रुपए की कथित चीटिंग का मामला दर्ज किया था।
कंपनी के डायरेक्टर गिरफ्तार
सीबीआई ने अब 515.15 करोड़ रुपए के इस फ्रॉड के मामले में शिवाजी पांजा और कौस्तुव रे सहित आरपी इन्फोसिस्टम के कई डायरेक्टर्स को गिरफ्तार कर लिया गया है। शिकायत के मुताबिक कंपनी ने कैनरा बैंक और 9 अन्य बैंकों के कंसोर्टियम के साथ फ्रॉड किया। इसमें गलत स्टॉक, देनदारी और प्राप्तियों से संबंधित गलत आंकड़े दिखाकर 515 करोड़ रुपए के फ्रॉड का आरोप लगाया गया।
कंसोर्टियम में ये बैंक भी शामिल
कंसोर्टियम के दूसरे मेंबर्स स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (दोनों ही अब एसबीआई का हिस्सा बन चुकी हैं।), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और फेडरल बैंक शामिल हैं।
फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में की हेराफेरी
बैंक ने 26 फरवरी को अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि कंपनी ने 2012 के बाद से समय-समय पर कंसोर्टियम से फंड लिया। इस शिकायत पर अब एफआईआर दर्ज हो चुकी है। यह लोन अब नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) में तब्दील हो चुका है। एफआईआर में कंपनी के वीपी विजय बाफना और देवनाथ पाल का नाम भी शामिल है।
बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी ने फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में हेराफेरी की। जांच एजेंसी ने आईडीबीआई से संबंधित मामले में कंपनी और उसके डायरेक्टर्स के खिलाफ 2015 में एफआईआर दर्ज की थी। लेकिन एफआईआर में एजेंसी ने आईडीबीआई के लोन पर जोर दिया, जो 180 करोड़ रुपए से ज्यादा था।