नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों की तरफ से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) और लेटर ऑफ कम्फर्ट (LoC) जारी करने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। बैंक ये LoU जारी करते थे जिनसे कंपनियों को भारत में सामान इम्पोर्ट करने के लिए कर्ज मिलता था।
आरबीआई ने देश का अब तक का सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड सामने आने के बाद यह कदम उठाया है। इस पीएनबी फ्रॉड में हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने LoU का गलत इस्तेमाल कर कर्ज लिया था। नीरव और उससे मामा मेहुल चौकसी के खिलाफ जांच एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं। मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज होने से पहले ही विदेश भाग चुके हैं।
आरबीआई ने क्या कहा?
– रिजर्व बैंक ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि बैंकों के लिए मौजूदा गाइडलाइन्स को रिव्यू करने के बाद बिजनेस में इम्पोर्ट के लिए LoUs/LoCs के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला लिया गया है। हालांकि, बैंक ने साफ किया कि देश में बिजनेस के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट और बैंक गारंटी नियमों के तहत पहले की तरह लागू रहेगी।
पीएनबी केस में इसका कैसे गलत इस्तेमाल हुअा?
– पंजाब नेशनल बैंक ने फरवरी में सेबी और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को 11,421 करोड़ रुपए के घोटाले की जानकारी दी थी। घोटाला मुंबई की ब्रेडी हाउस ब्रांच में हुआ। इसकी शुरुआत 2011 से हुई थी।
– 7 साल में हजारों करोड़ की रकम 297 फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) के जरिए विदेशी अकाउंट्स में ट्रांसफर की गई। अब यह घोटाला 12,672 करोड़ रुपए का हो चुका है।
– इसके मुख्य आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी और गीतांजलि ग्रुप्स के मालिक मेहुल चौकसी हैं। दोनों देश से बाहर हैं। पीएनबी के मुताबिक, तीन डायमंड कंपनियों डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड्स ने 16 जनवरी को संपर्क किया। ये कंपनियां विदेशी सप्लायरों को पेमेंट के लिए शॉर्ट टर्म क्रेडिट चाहती थीं।
– बैंक ने कोड बेस्ड स्विफ्ट सिस्टम के जरिए LoU जारी किया। इसी आधार पर कंपनियां लोन लेती रहीं। पीएनबी के कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से यह लेटर ऑफ अंडरटेकिंग दे दिया। नीरव मोदी की कंपनियों को 100% कैश मार्जिन भी नहीं देना पड़ा। पकड़ में आने से बचने के लिए पीएनबी के अधिकारियों ने इसकी एंट्री भी नहीं की।
क्या है LoU?
– लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) एक तरह की बैंक गारंटी है। कंपनी डिमांड बताकर बैंक को अप्रोच करती है। बैंक कोड बेस्ड स्विफ्ट सिस्टम के जरिए LoU जारी करता है। धोखाधड़ी के मामलों में अंतिम देनदारी LoU जारी करने वाले बैंक पर बनती है। LoU के आधार पर विदेश में दूसरे बैंकों से कर्ज लिया जा सकता है। मल्टीनेशनल कंपनियां इसका इस्तेमाल करती हैं।