सीबीआई का 800 से ज्यादा लोन डिफॉल्टर पर कसेगा शिकंजा

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नई दिल्ली। 12 हजार करोड़ के पीएनबी फ्रॉड का मामला सामने आने के बाद सरकार जिस तरह से तेजी में आई है। उसे देते हुए 800 से ज्यादा बड़े डिफॉल्टर पर सीबीआई शिकंजा कस सकता है। ये ऐसे डिफॉल्ट हैं जो कि 50 करोड़ रुपए से ज्यादा है।

ऐसे में बैंक सीबीआई को इस महीने इन डिफॉल्टर्स की लिस्ट सौंप सकते हैं। इसके पहले फाइनेंस मिनिस्ट्री ने बैंकों को निर्देश दे रखा है कि वह 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) की जांच 15 दिन में कर उसकी डिटेल सीबीआई को दें।

800 से ज्यादा डिफॉल्टर आएंगे सीबीआई के रडार पर
बैंकिंग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देश के जो बड़े डिफॉल्टर्स हैं उनमें 800 से ज्यादा ऐसे हैं, जिन पर 50 करोड़ रुपए से ज्यादा कि डिफॉल्ट हैं। इसमें सबसे ज्यादा डिफॉल्टर्स पब्लिक सेक्टर बैंकों के हैं।

ऐसे में फाइनेंस मिनिस्ट्री के जो हालिया निर्देश हैं, उनमें ऐसे डिफॉल्टर्स पर सीबीआई का शिकंजा तेजी से कर सकता है। मिनिस्ट्री ने साफ तौर पर बैंकों को कहा है कि वह 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के डिफॉल्टर की जांच 15 दिन में कर सीबीआई को सौंपे।

सरकार को ऐसे डिफॉल्टर्स का देश से भागने का डर
जिस तरह से करीब 9600 करोड़ रुपए का डिफॉल्ट कर विजय माल्या और 12600 करोड़ रुपए का डिफॉल्ट कर नीरव मोदी और मेहुल चौकसी विदेश भांग गए हैं। उसे देखते हुए सरकार को इस बात का डर है कि दूसरे डिफॉल्टर्स भी ऐसा कर सकते हैं। इसे देखते हुए सरकार इन पर कानूनी शिकंजा कसना चाहती है।

कैबिनेट ने ऐसे डिफॉल्टर्स पर लगाम कसने के लिए फ्यूगिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स बिल को मंजूरी दे दी है। इसका मकसद आर्थिक अपराध कर विदेश भागने वाले आरोपियों के खिलाफ कानून बनाना है।

प्रस्तावित कानून में विदेश भागे लोगों की संपत्तियां जब्त करने और उन्हें फटाफट बेचने को आसान बनाया जाएगा। साथ ही, जांच एजेंसियों को ज्यादा अधिकार देने का प्रस्ताव भी है। कैबिनेट की बैठक के बाद फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने इस बात की जानकारी दी है।

डिफॉल्टर्स की प्रॉपर्टी जब्त करना होगा आसान
नए बिल के कानून जाने के बाद नीरव मोदी जैसे मामलों में आरोपी की संपत्ति को इम्‍पाउंड और सेल करने की इजाजत सरकार को मिल जाएगी और स्‍पेशल कोर्ट के माध्‍यम से कॉरपोरेट डिफॉल्‍टर्स के भागने के बाद जल्‍द से जल्‍द रिकवरी हो जाएगी।

7.5 लाख करोड़ रुपए अकेले पीएसयू बैंकों का एनपीए
बैंकों के डूबते कर्ज का आलम यह है कि अकेले 7.5 लाख करोड़ रुपए का एनपीए पब्लिक सेक्टर बैंकों का हो चुका है। जो कि सितंबर 2017 के आंकड़ों के आधार पर है।

इसकी वजह से न केवल बैंकों की सेहत बिगड़ी है बल्कि उनके कर्ज देने की क्षमता पर भी निगेटिव इम्पैक्ट हुआ है। केवल पीएनबी का फ्रॉड आने के बाद निवेशकों के 56 हजार करोड़ रुपए अकेले शेयर मार्केट में डूब चुके हैं।