कोटा। स्मार्ट फोन से होने वाले रेडिएशन और सेहत के नुकसान से हाड़ौती के लोग अवेयर नहीं हैं। लोग हैल्थ की जगह फीचर्स को देखकर स्मार्ट फोन खरीद रहे हैं। दूसरी ओर स्मार्ट फोन लेते हुए समय बहुत कम लोग ही उसके रेडिएशन को जांचते हैं, जबकि यह फीचर फोन में इनबिल्ट होता है।
यह रिसर्च डॉ. मोनिका पांडे ने गवर्नमेंट कॉलेज बूंदी के डॉ. आनंद कुमार जैन के निर्देशन में की है। उनका टॉपिक बिहेवियर ऑफ सेल फोन यूजर-ए क्रिटिकल स्टडी ऑफ हाड़ौती रीजन रहा। इसमें कोटा सहित बूंदी, बारां और झालावाड़ रीजन के 500 लोगों से सवाल पूछे गए। उन सवालों के उत्तर के आधार पर यह तथ्य सामने आए हैं।
सर्वे में शामिल करीब 46 प्रतिशत लोगों ने माना है कि वह मोबाइल फोन लेते समय उसका रेडिएशन लेवल चेक नहीं करते। 28.40 प्रतिशत लोग न्यूट्रल थे। 23 प्रतिशत लोगों ने माना है कि मोबाइल फोन का रेडिएशन लेवल जांचना चाहिए। इसी प्रकार मोबाइल पर सबसे अधिक सर्फिंग सोशल मीडिया की होती है।
यूटिलिटी फैक्टर्स को नजरअंदाज किया जाता है। सात बिंदुओं में यूटिलिटी पांचवें नंबर पर रही। वेब ब्राउजिंग एंड सोशल मीडिया पहले और मनी ट्रांजेक्शन दूसरे स्थान पर रहा। रिसर्च में सामने आए तथ्य, कोटा सहित बूंदी, बारां और झालावाड़ के कंज्यूमर्स पर किया गया सर्वे, 30 प्रतिशत लोग ही सही उपयोग के बारे में जागरूक
कैसे जांचें मोबाइल का रेडिशन
स्मार्ट फोन के की-पैड पर *#07# टाइप करने पर फोन की एसएआर वैल्यू आती है। इसी प्रकार *#06# टाइप करने पर आईएमईआई नंबर स्क्रीन पर डिसप्ले होता है। एसएआर वैल्यू से ही इलेक्ट्रो मैगनेटिक रेडिएशन को नापा जाता है।
इंडियन स्टैंडर्ड के मुताबिक मोबाइल फोन में यह लेवल 1.6 वॉट/केजी से कम होना चाहिए। इससे अधिक होने पर वह शरीर के लिए नुकसानदायक है। खास बात यह है कि लोग इस बात को लेकर अवेयर ही नहीं हैं।
ऐसे नापा जाता है रेडिएशन लेवल
कॉल करते समय उपयोग करें स्पीकर
डॉ. माेनिका की ओर से दिए गए सुझावों में बताया गया है कि फोन कनेक्टिंग के समय रेडिएशन लेवल सबसे अधिक होता है। इस समय फोन शरीर के सबसे पास होता है। इस दौरान स्पीकर का उपयोग करना चाहिए।
इसी प्रकार ब्लूटूथ की जगह वायर्ड हैडफोन का उपयोग करना चाहिए। मोबाइल कंपनियों को भी स्मार्ट फोन के रेडिएशन लेवल की जानकारी का प्रचार प्रसार करना चाहिए।
रिसाइकिल नहीं होता है फोन, उसमें भी रेडिएशन
खराब मोबाइल फोन रिसाइकिल नहीं किया जाता है। उसमें भी रेडिएशन होता है। मोबाइल फोन में मरकरी व लेड होता है। जो खतरनाक होता है। ऐसे मे हिंदुस्तान में भी रिसाइकलिंग सेंटर खोले जाने चाहिए। इसका चलन अभी विदेशों में है।