नई दिल्ली। पिछले वर्ष जुलाई-दिसंबर की तिमाही में फंसे कर्ज में (NPA) में बढ़ोतरी का दबाव कुछ कम होता दिखा क्योंकि अपेक्षाकृत कम बैंकों ने कहा कि इस दौरान उनकी एनपीए बढ़ी है। यह कर्ज के कारोबार में स्थिरता का संकेत है।
उद्योग मंडल फिक्की और आईबीए के सर्वे में 19 सार्वजनिक क्षेत्र, निजी एवं विदेशी बैंकों से जानकारी के अनुसार इस अवधि में 58 प्रतिशत प्रतिभागी बैंकों ने कहा कि उनके एनपीए में वृद्धि हुई है। इससे पीछे दौर के सर्वे में 80 प्रतिशत बैंकों ने कहा था कि उनकी एनपीए बढ़ी है।
बुनियादी ढांचा, धातु और इंजीनियरिंग क्षेत्र का फंसे कर्ज में प्रमुख रूप से योगदान है। सर्वे में शामिल किए गए इन बैंकों का घरेलू बैंकिग उद्योग में योगदान 59 प्रतिशत है। इसी तरह इस दौरान केवल 28 प्रतिशत बैंकों ने अपने यहां कर्ज के पुनर्गठन के लिए आवेदनों की संख्या बढ़ने की बात कही। पिछले दौर में ऐसे बैंकों का अनुपात 40 प्रतिशत था।
आगामी केंद्रीय बजट के लिए बैंकों ने एनपीए प्रावधान पर पूर्ण कर छूट, कंपनी कर की दर में कमी और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश को गति देने की मांग की है। रिपोर्ट के बारे में फिक्की ने कहा, ‘सर्वे में शामिल ज्यादातर बैंकों ने कंपनी कर की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने, न्यूनतम वैकल्पिक कर घटाकर 15 प्रतिशत करने और व्यक्तियों के लिए कर छूट बढ़ाने का सुझाव दिया है।’
यह सर्वे पिछले वर्ष जुलाई से दिसंबर के बीच किया गया है। सर्वे में यह सुझाव दिया गया है कि बजट में बैंकों को एनपीए के लिए किए जाने वाले प्रावधान पर पूरी कर छूट मिलनी चाहिए। फिलहाल इस मामले में कर योग्य आय पर 5 प्रतिशत की सीमा तय है।