राज्य में सामान मंगाने और बाहर भेजने के लिए ई-वे बिल फार्म अनिवार्य

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कोटा। ट्रांसपोर्ट कंपनीज एसोसिएशन की ओर से पुरुषार्थ भवन में बुधवार को ई-वे बिल पर सेमिनार हुई। इसमें अवधेश पराशर उपायुक्त राज्य कर विभाग एवं उमंग नंदवाना ने ट्रांसपोर्टर्स की समस्याओं का समाधान किया। अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि ई-वे बिल सरकार टैक्स चोरी रोकने के लिए लाई है।

एसोसिएशन अध्यक्ष जेपी शर्मा एवं सचिव चंद्रशेखर रामचंदानी ने ई-वे बिल पर एसोसिएशन कार्यालय में एक सहायता केंद्र खोलने का आश्वासन दिया। हेल्प डेस्क कर अधिकारी उमंग नंदवाना ने व्यापारियों को प्रोजेक्टर पर ई-वे बिल से जुड़ी जानकारी दी और समस्याओं का समाधान किया।

कर उपायुक्त अवधेश पराशर ने बताया कि जीएसटी कांउसिल द्वारा 16 जनवरी से प्रायोगिक तौर और अनिवार्य रूप से 1 फरवरी से इंटर स्टेट ई-वे बिल लागू होगा तथा इंट्रा स्टेट ई-वे बिल 1 जून से लागू किया जाएगा। अब राज्य के बाहर माल भेजने एवं मंगवाने के लिए बिल, बिल्टी और अन्य दस्तावेजों के साथ ई-वे बिल फार्म भी लगाना जरूरी होगा।

जीएसटी व्यवस्था में ई-वे बिल की शुरुआत टैक्स चोरी रोकने के लिए की गई है। इंटर स्टेट ट्रांजेक्शन जो 50 हजार रुपए से अधिक हो उसकी ब्रिक्री पर ई-वे बिल क्रेता, विक्रेता या ट्रांसपोर्ट द्वारा बनाना अनिवार्य होगा अन्यथा माल का गमन, स्टॉक मूविंग प्रारंभ नहीं होगी।

एसोसिएशन खोलेगी सुविधा केंद्र : सेमिनार में एसोएिसशन के अध्यक्ष जेपी शर्मा ने कहा कि ट्रांसपोर्ट कम्पनीज एसोसिएशन हमेशा ही ट्रांसपोर्ट की मदद के लिए आगे बढ़कर कार्य करती आई है। ट्रांसपोर्ट व्यापारियों की सुविधा के लिए एसोसिएशन में एक सुविधा केन्द्र भी जल्द बनवाया जाएगा, जिसमें कोई भी समस्या आने पर समाधान की सुविधा उपलब्ध होगी। 

कैंसिल करने के लिए होगा 72 घंटे का समय
हेल्प डेस्क एवं राज्य कर उपायुक्त अवधेश पराशर ने बताया कि 100 किमी तक की दूरी के लिए 1 दिन, 101 से 300 किलोमीटर की दूरी के लिए 3 दिन का ई-वे बिल बनेगा। ई-वे बिल व्हीकल नंबर डालते ही जनरेट हो जाएगा।

इसे कैंसिल एवं रिजेक्ट करने के लिए क्रमशः 24 एवं 72 घंटे का समय रहेगा। ई-वे बिल में अपडेट व्हीकल नंबर का ऑप्शन भी उपलब्ध होगा जो ब्रेक डाउन एवं ट्रांसपोर्ट चेंज होने के स्थिति में काम में लिया जाएगा।