नई दिल्ली। क्रूड की कीमतों में आई तेजी से इंपोर्ट करने वाले देशों की चिंता और बढ़ सकती है। गुरूवार को ब्रेंट क्रूड अपने 3 साल के टॉप लेवल पर पहुंच गया है। कारोबार के दौरान क्रूड की कीमतें 68.27 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई। इससे पहले साल 2015 की शुरूआत में क्रूड इस लेवल पर पहुंचा था।
पिछले 6 माह की बात करें तो क्रूड में 53 फीसदी से ज्यादा तेजी आ चुकी है। जून में क्रूड 44.48 डॉलर के लेवल पर था। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक एनालिस्ट मान रहे हैं कि जल्द क्रूड 70 डालर पर पहुंच सकता है।
बढ़ सकता है करंट अकाउंट डेफिसिट
क्रूड की कीमतें बढ़ने से देश का करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ सकता है। असल में भारत अपनी जरूरतों का 82 फीसदी क्रूड इंपोर्ट करता है। क्रूड की कीमतें लगातार बए़ने से भारत का इंपोर्ट बिल उसी रेश्यो में महंगा होगा, जिससे करंट अकाउंट डेफिसिट की स्थिति बिगड़ेगी।
महंगाई बढ़ने का डर
क्रूड की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ने का भी डर होता है। इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड महंगा होने से इंडियन बास्केट में भी क्रूड महंगा हो जाता है। इससे तेज कंपनियों पर मार्जिन का दबाव भी बढ़ता है। तेल कंपनियां क्रूड की कीमतों में होने वाली बढ़ोत्तरी को कंज्यूमर्स पर पास ऑन कर सकती है।
ऐसे में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से महंगाई बढ़ने का भी डर होता है। हाल ही में फॉरेन ब्रोकरेज हाउस यूबीएस ने रिपोर्ट में कहा था कि अगर क्रूउ की कीमतें 10 फीसदी बढ़ती हैं तो सीपीआई इनफलेशन में 25 बेसिस प्वॉइंट की बढ़ोत्तरी हो सकती है।
एक्साइज ड्यूटी घटने के बाद क्रूड 24% महंगा
सरकार द्वारा 3 अक्टूबर को एक्साइज ड्यूटी में कटौती किए जाने के बाद से क्रूड में लगातार तेजी बनी हुई है। 3 अक्टूबर के बाद से जहां इंटरनेशन मार्केट में क्रूड 24 फीसदी महंगा हो चुका है, वहीं इंडियन बास्केट में क्रूड की कीमतें 17 फीसदी बढ़ चुकी हैं।
इस रेश्यो में पेट्रोल-डीजल की कीमतें न बढ़ने से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के मार्जिन पर भी दबाव बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार अनुसार सप्लाई को लेकर मार्केट की स्थिति टाइट होने और यूएस में इन्वेंट्री घटने की वजह से क्रूड की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है।