Kalonji price: स्टॉक तंगी से कलौंजी के भाव में आगे भी तेजी का अनुमान

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नई दिल्ली। आज कलौंजी की कीमतों में अच्छी तेजी रही। उल्लेखनीय है कि गुजरात की मंडियां लगभग एक सप्ताह तक बंद रहने के कारण नए मालों की आवक नहीं हो पाएगी। जबकि पुराना स्टॉक कम रह जाने के कारण मध्य प्रदेश की नीमच एवं जावरा मंडी में आज कलौंजी के भाव 10/15 रुपए प्रति किलो तेजी के साथ बोले गए। दिल्ली बाजार में भाव 15/20 रुपए प्रति किलो तक बढ़ाकर बोले जा रहे थे। सूत्रों का कहना है कि गुजरात की मंडियां खुलने तक कलौंजी के दामों में मंदे की संभावना नहीं है।

बिजाई
चालू सीजन के दौरान गुजरात में कलौंजी का बिजाई क्षेत्रफल लगभग दो गुणा होने के कारण गुजरात में कलौंजी उत्पादन अधिक होने के समाचार है जबकि मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में बिजाई गत वर्ष की तुलना में कम रही है।

उत्पादन
सूत्रों का कहना है कि चालू सीजन के दौरान गुजरात में कलौंजी का उत्पादन 1/1.25 लाख क्विंटल होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। जबकि मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में उत्पादन 1.25/1.50 लाख क्विंटल के आसपास होने के समाचार है। कुल मिलाकर चालू सीजन के लिए कलौंजी को पैदावार 2.50/2.75 लाख क्विंटल मानी जा रही है जबकि गत वर्ष उत्पादन 2.25/2.50 लाख क्विंटल के आसपास रहा था। वर्ष 2023 के उत्पादन 3.75/4 लाख क्विंटल का हुआ था।

तेजी -मंदी
उत्पादक केन्द्रों पर बकाया स्टॉक कम रहने एवं हाजिर में ग्राहकी बढ़ने के कारण आज कलौंजी के दामों में 10/20 रुपए प्रति किलो के तेजी दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश की नीमच मंडी में भाव बढ़कर 150/200 रुपए प्रति किलो के हो गए है जबकि दिल्ली बाजार में भाव 215/220 रुपए तक बोले जाने लगे है। हालांकि गुजरात की मंडियों में नए मालों की छिटपुट आवक शुरू हो गई है। लेकिन एक सप्ताह का अवकाश होने के कारण अब मंडियों में आवक अप्रैल माह में बनेगी। सूत्रों का मानना है कि आवक का दबाव बनने पर कलौंजी के दामों में 10/15 रुपए प्रति किलो की गिरावट 15/20 अप्रैल तक आ सकती है। इससे अधिक मंदा संभव नहीं है। वर्ष 2025 में कलौंजी के भाव तेज रहने की संभावना है।

खपत एवं उपलब्धता
जानकार सूत्रों का कहना है कि लोकल खपत एवं निर्यात को मिलाकर कलौंजी की सालाना खपत 3.50/3.75 लाख बोरी की रहती है। जबकि चालू सीजन के दौरान 2.50/2.75 लाख बोरी का उत्पादन 30/40 हजार बोरी का बकाया स्टॉक की कुल उपलब्धता 3/3.20 लाख बोरी की रहेगी। जिस कारण से आवक घटने के पश्चात कीमतों में फिर तेजी शुरू हो जाएगी क्योंकि अप्रैल-मई माह के दौरान अचार डालने वालों की अच्छी मांग बाजार में रहती है।