नई दिल्ली। Wheat Production: आयातक ऊंचे बाजार भाव से उत्साहित भारतीय किसानों ने चालू रबी सीजन के दौरान सबसे प्रमुख खाद्यान्न- गेहूं की खेती में अच्छी दिलचस्पी दिखाई जिससे इसका उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 320 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र एवं पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल से अधिक है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में अभी तक मौसम की हालत फसल के लिए काफी हद तक संतोषजनक है और यदि फरवरी-मार्च में स्थिति अनुकूल रही तो इसका शानदार उत्पादन हो सकता है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने इस बार 1150 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
उद्योग-व्यापार समीक्षकों के मुताबिक 2023-24 सीजन के दौरान देश में 10.00-10.50 करोड़ टन के बीच गेहूं का उत्पादन हुआ था जो 2024-25 के वर्तमान सीजन में बढ़कर 11 करोड़ टन के करीब पहुंच सकता है।
सरकार के पास गेहूं का सीमित स्टॉक है इसलिए उसे राशन में वितरण तथा बाजार नियंत्रण के लिए भारी मात्रा में इसकी खरीद सुनिश्चित करना आवश्यक होगा लेकिन ऊंचे बाजार भाव को देखते हुए यह आसान नहीं है।
गेहूं की जोरदार आवक अप्रैल-मई में होगी और उस समय इसकी कीमतों में नरमी आ सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि गेहूं का थोक मंडी भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आता है या नहीं क्योंकि उसके आधार पर ही गेहूं की सरकारी खरीद में वृद्धि या कमी निर्भर रहेगी।
आमतौर पर 2024-25 के रबी सीजन गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2425 रुपए प्रति क्विंटल नियत हुआ है जो 2023-24 सीजन के 2275 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए ज्यादा है। राजस्थान में इससे ऊपर 125 रुपए प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस दिया जाएगा लेकिन मध्य प्रदेश में बोनस की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हुई है।
वहां सरकार एक नए फार्मूले पर विचार कर रही है जिसके तहत किसानों को गेहूं की खरीद के बजाए उसके बिजाई क्षेत्र पर 2000 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से बोनस दिए जाने का प्रस्ताव है।
यह किसानों के लिए लाभप्रद नहीं होगा और इसलिए वहां गेहूं की सरकारी खरीद में समस्या पैदा हो सकती है। मध्य प्रदेश देश के तीन शीर्ष गेहूं उत्पादक राज्यों में शामिल है। प्राइवेट व्यापारियों की निगाहें फिलहाल उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों पर केन्द्रित है जहां गेहूं पर कोई बोनस उपलब्ध नहीं है। यदि मध्य प्रदेश में नया फार्मूला लागू हुआ तो वहां गेहूं की व्यापारिक खरीद में अच्छी बढ़ोत्तरी हो सकती है जबकि केन्द्रीय पूल के लिए खरीद में कमी आ सकती है।
दिल्ली के बेंचमार्क मार्केट में इसका दाम काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था। गेहूं का बिजाई क्षेत्र 320 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है। 21 जनवरी 2025 को दिल्ली में गेहूं का दाम 3300 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया था।
जहां तक कीमतों में गिरावट आने का सवाल है तो इसके लिए अनेक कारकों पर ध्यान देने की जरूरत है। पहली बात यह है कि स्टॉक को सुविधाजनक स्तर पर बरकरार रखने के लिए देश में कम से कम दो वर्षों तक गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होना आवश्यक है जबकि 2022-23 के सीजन में हुआ था।
स्टॉक के ऊंचे स्तर पर पहुंचने के बाद ही गेहूं की कीमतों में गिरावट का रूख बन सकता है। चालू वर्ष के दौरान गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है लेकिन इसके लिए फरवरी-मार्च का मौसम अनुकूल रहना आवश्यक है। यदि रिकॉर्ड उत्पादन हुआ तो गेहूं का औसत मंडी भाव 2600 रुपए प्रति क्विंटल एवं दिल्ली में दाम 2800-2900 रुपए प्रति क्विंटल के करीब रह सकता है।