एफसीआई ने खुले बाजार बिक्री योजना में 98700 टन गेहूं की बिक्री की

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नई दिल्ली। लम्बे इंतजार के बाद अंततः भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अपने स्टॉक से गेहूं बेचने के लिए पिछले दिन सप्ताहिक ई-नीलामी आयोजित की। इसमें एक लाख टन गेहूं की बिक्री का ऑफर दिया गया और इसमें से 98,700 टन की बिक्री भी हो गई।

कुल मिलाकर 1501 मिलर्स-प्रोसेसर्स ने इस गेहूं की खरीद की। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि सरकारी गेहूं की खरीद में उसकी जबरदस्त दिलचस्पी बनी हुई है। दरअसल खुले बाजार में गेहूं का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है जबकि इसके मुकाबले सरकारी गेहूं का न्यूनतम आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) बहुत नीचे नियत किया गया है। यह आरक्षित मूल्य एफएक्यू श्रेणी के गेहूं के लिए 2325 रुपए प्रति क्विंटल एवं यूआरएस गेहूं के लिए 2300 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित हुआ है।

उद्योग समीक्षकों के अनुसार सरकारी गेहूं की खरीद में प्रोसेसर्स की जबरदस्त दिलचस्पी का कारण यह नहीं है कि खुले बाजार में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की आपूर्ति ठप्प पड़ गई है बल्कि मिलर्स को केवल ऊंची कीमत का डर सता रहा है इसलिए वे इसका स्टॉक सुनिश्चित करना चाहते हैं।

थोक मंडियों में गेहूं की सामान्य आवक हो रही है मगर कीमत ऊंचे स्तर पर है। आगे इसमें और तेजी आने की संभावना को देखते हुए मिलर्स अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं।नीलामी के पहले चरण में ही इतनी भारी संख्या में प्रोसेसर्स का शामिल होना हैरानी की बात है। जैसे-जैसे नीलामी की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे खरीदारों की संख्या भी बढ़ती जाएगी।

वैसे सरकारी बिक्री के बावजूद थोक मंडियों में गेहूं के दाम पर ज्यादा दबाव पड़ना मुश्किल लगता है। 4 दिसम्बर 2024 को गेहूं की पहली साप्ताहिक ई-नीलामी आयोजित हुई। इसकी बिडिंग प्रकिया देश के 23 राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों में शुरू हुई। इसमें से 16 राज्यों में सम्पूर्ण ऑफर की खरीद हो गई जबकि पांच प्रांतों में 95 से 99 प्रतिशत के बीच,

तमिलनाडु में 86 प्रतिशत तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में 60 प्रतिशत ऑफर की खरीद पूरी हो गई। देश के 11 शीर्ष खपतकर्ता राज्यों के लिए 75,500 टन गेहूं की बिक्री का ऑफर दिया गया था और वहां 1137 बिडर्स ने 74,900 टन गेहूं की खरीद कर ली।