कोटा। 1962 में भारत और चीन के बीच लड़े गये युद्ध पर बहुत सी फिल्में बनी चुकी है, लेकिन जो कहानी गिप्पी ग्रेवाल अपनी फिल्म में सुनाने जा रहे है वह कहानी है सिख रेजीमेंट के सूबेदार जोगिंदर सिंह की।
जिन्होंने 1962 की लड़ाई में अपने मात्र 21 जवानों के साथ 600 चीनी सैनिकों का मुकाबला किया था और अंतिम सांस तक लड़े थे। भारत सरकार ने उन्हें उनके अदम्य साहस का सम्मान करते हुए मरणोपरांत सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा था।
इस फिल्म को सागा म्यूजिक एवं म्यूनिसिस इन्फो सोल्युशन्स के साथ 7 कलर्स मोशन पिक्चर्स द्वारा रिलीज किया जा रहा है। इस फिल्म को चार भाषाओं पंजाबी, हिंदी, तमिल और तेलुगू में 6 अप्रैल 2018 को रिलीज किया जायेगा।
गिप्पी ग्रेवाल के अलावा इसमें गुग्गु गिल, कुलविंदर बिल्ला, अदिति शर्मा, राजवीर जवंदा, रोशन प्रिंस, करमजीत अनमोल तथा सरदार सोहीस भी नजर आने वाले है।
सूबेदार जोगिंदर सिंह की बायोग्राफी की शूटिंग खूबसूरत और खतरनाक जगहों जैसे कारगिल, द्रास, राजस्थान एवं असम की अलग-अलग लोकेशंस पर हुई है। इस फिल्म का एक मुख्य भाग 14,000 फीट की ऊंचाई पर शूट हुआ।
जहाँ पहुँचने में ही क्रू और कास्ट को कई घंटो तक गाड़ी एवं पैदल यात्रा करनी पड़ती थी। इस फिल्म के मुख्य कलाकार गिप्पी ग्रेवाल ने खुद को शारीरिक तौर परिवर्तित किया हैं तथा फिल्म के ज्यादातर स्टंट्स खुद ही किए हैं।
1962 में जब चीनी घुसपैठ हुई थी तो सूबेदार जोगिंदर सिंह वहां पर अपनी पलटन के साथ तैनात थे। उनको उस दुर्गम क्षेत्र में पोजिशन लेने के ऑर्डर्स दिये गये थे। पूरी पलटन बिना युद्ध की तैयारी और साजो-सामान के वहां पर डटी थी।
चीन के 600 सैनिकों ने तीनों तरफ से औचक आक्रमण कर दिया। सूबेदार जोगिन्दर सिंह की मानसिक दृढ़ता ही थी जिसकी वजह से गोला-बारूद खत्म होने और जांघ पर गोली लगने के बावजूद भी उन्होंने ना सिर्फ अपने सैनिकों को लड़ाई के लिए प्रेरित किया।
बल्कि खुद भी अकेले ही दर्जनों चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। इनकी इस बहादुरी भरी दास्तान को देखने के लिये लोग बेहद उत्साहित महसूस कर रहे हैं।