नई दिल्ली। खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन की चालू सीजन में रिकॉर्ड बोआई हुई है। सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़कर 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया, लेकिन प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सोयाबीन एमएसपी से कम कीमत पर खरीद जा रही है। जिसके कारण किसानों में नाराजगी बढ़ती जा रही है जो धीरे धीरे किसानों को आंदोलन की राह में ले जा रही है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के मुताबिक 23 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में देश भर में सोयाबीन का रकबा बढ़कर 125.11 लाख हेक्टेयर पहुंच गया जो अब तक का नया रिकॉर्ड है। चालू सीजन में मध्य प्रदेश में इस साल सोयाबीन का रकबा 53.48 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है जबकि पिछले साल इस दौरान तक राज्य में सोयाबीन का रकबा 53.19 लाख हेक्टेयर था।
महाराष्ट्र में इस साल सोयाबीन की रिकॉर्ड बोआई हुई है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में सोयाबीन का रकबा बढ़कर 50.36 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है । राज्य में 2023 में 49.28 लाख हेक्टेयर, 2022 में 48.33 लाख हेक्टेयर, 2021 में 45.50 लाख हेक्टेयर, 2020 में 42.57 लाख हेक्टेयर और 2019 में 39.31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बोआई हुई थी।
साल दर साल कम हुए दाम
खेती में बढ़ती लागत को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने सोयाबीन की एमएसपी 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पिछले साल यानी 2023-24 में सोयाबीन की एमएसपी 4600 रुपये और 2022-24 में 4300 रुपये प्रति क्विंटल था।
MSP में बढ़ोत्तरी के बाद भी किसान खुश नहीं हैं क्योंकि बाजार में सोयाबीन की खरीद MSP से कम भाव पर की जा रही है। सोयाबीन की प्रमुख मंडी इंदौर में सोयाबीन का भाव 4566 रुपये बोला जा रहा है जबकि पिछले साल अगस्त में सोयाबीन की कीमत 5147 रुपये और अगस्त 2022 में 5536 रुपये प्रति क्विंटल थी।
साल 2021 में सोयाबीन की कीमतें दस हजार रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गई थी। 31 जुलाई 2021 को इंदौर मंडी में सोयाबीन के दाम 10071 रुपये प्रति क्विंटल का रिकॉर्ड बना चुकी है।
किसानों को लागत निकालना मुश्किल
किसानों की उत्पादन लागत साल दर साल बढ़ी है तो कीमतों में कमी हुई। जिससे किसान नाराज है। मध्य प्रदेश के किसान नेता राहुल राज के अनुसार नर्मदापुरम से लेकर मालवा तक सोयाबीन की कीमत 3500 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच स्थिर है। केन्द्र सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपये तय किया है।
वर्तमान महंगाई के कारण जहां खाद, बीज, कीटनाशक सहित सभी कृषि संसाधन महंगे हैं, इस मूल्य में किसान की लागत पूरी तरह से निकल पाना संभव नहीं है। इसलिए राज्य सरकार को सोयाबीन के समर्थन मूल्य पर 1108 रुपये का अतिरिक्त बोनस देकर सोयाबीन का मूल्य 6000 रुपये प्रति क्विंटल तय करना चाहिए।
आंदोलन की तैयारी में किसान
संयुक्त किसान मोर्चा सोयाबीन की फसल के दाम की मांग को लेकर बड़े आंदोलन की योजना तैयार करने में लगे हैं। मध्य प्रदेश के किसान आंदोलन पहले चरण में सितंबर के पहले सप्ताह में हर गांव में ग्राम पंचायत सचिव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देना शुरु करेंगे। मध्य प्रदेश के साथ महाराष्ट्र के किसानों को भी आंदोलन में साथ खड़े करने की तैयारी की जा रही है जिसके लिए सोशल मीडिया के सहारे किसान संगठन एक दूसरे से आंदोलन में जोड़ने की योजना साझा कर रहे हैं।
किसानों की मानी जाए तो सरकार सोयाबीन का मूल्य 6000 रुपये प्रति क्विंटल नहीं करती है तो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के किसान एक साथ आंदोलन की शुरुआत करेंगे, जिसकी तैयारियों को अंतिम रूप देने की कवायद चालू है।
अगस्त महीने में सोयाबीन का रकबा एवं कीमत
वर्ष | रकबा | कीमत | बदलाव (%) |
2019 | 112.47 | 3788 | 13.1 |
2020 | 119.91 | 4111 | 8.5 |
2021 | 119.04 | 9012 | 119.2 |
2022 | 123.39 | 5536 | -38.6 |
2023 | 123.85 | 5147 | -7.0 |
2024 | 125.11 | 4566 | -11.3 |