हाड़ौती कवि सम्मेलन: तीज माता मेले में काव्य रस में देर रात तक भीगते रहे श्रोता

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एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम आज, कल होगा मेले का समापन

कोटा। श्रावणी तीज मेला महोत्सव आयोजन समिति के संयोजन में कोटा जंक्शन स्थित हाट बाजार में बुधवार को हाड़ौती कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दीपक राजवंशी, पूर्व उपमहापौर राकेश सोरल थे।

काव्य पाठ की शुरूआत करते हुए दुर्गादान सिंह गौड़ ने श्रृंगार रस से ओतप्रोत गीत “गोरी गोरी गजबन बनी ठनी..” सुनाकर भाव विभोर कर दिया। गीतकार विश्वामित्र दाधीच ने “मन मर्जी का काम करया, कोई पूछे ना, चित् चाया चतराम दरया कोई पूछे ना.. के द्वारा हास्य के रस घोले। संचालन मुकुट मणिराज ने किया।

कवि गोविंद हांकला, महेश पंचोली, गीतकार मुरलीधर गौड़, अखिलेश अखिल, सुरेश पंडित ने भी ठेठ देशी भाषा में काव्य रस में भिगोया। वरिष्ठ गीतकार मुकुटमणिराज ने 57 वर्षों से चले आ रहे मेले के इतिहास के बारे में अपने स्मरण सुनाए। उन्होंने संस्थापक भंवरलाल भरावा व नंदकिशोर भरावा के बारे में बताया।

उन्होंने बताया कि मेले की शुरुआत 1968 में तीज माता को एक हाथ ठेले में रखकर अपने परिवार एवं क्षेत्र के चंद लोगों के साथ मिलकर सवारी निकालते हुए की थी। तब यह शोभा यात्रा प्रारंभ की और बहुत सूक्ष्म रूप में मेले का आगाज किया। कोटा दरबार ब्रजराज सिंह जी द्वारा भंवरलाल जी को भरावा की उपाधि प्रदान की गई थी।

इस दौरान मेला अध्यक्ष बसंत भरावा, संयोजक श्याम भरावा, सुनीता भरावा, अलका दुलारी जैन कर्मयोगी, मेला मंच प्रभारी नरेश कारा, लक्ष्मीनारायण गर्ग, अनिल कुमार शर्मा उपस्थित थे। सांस्कृतिक कार्यक्रम संयोजक राजाराम जैन कर्मयोगी रावण सरकार ने बताया कि 15 अगस्त को श्रावणी तीज मेला मंच एक शाम शहीदों के नाम से रोशन होगा। वहीं 16 अगस्त को सुनहरी यादें कार्यक्रम के साथ मेले का समापन होगा।