Soybean: महाराष्ट्र को छोड़ अन्य राज्यों में सोयाबीन की बिजाई धीमी पड़ने की संभावना

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नई दिल्ली। Soybean Sowing: हालांकि गत सप्ताह तक सोयाबीन का घरेलू उत्पादन क्षेत्र उछलकर 60.63 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के क्षेत्रफल 28.86 लाख हेक्टेयर के दोगुने से भी अधिक रहा लेकिन उद्योग- व्यापार एवं बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि आगामी समय में इसकी बिजाई की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।

सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ (सोपा) का कहना है कि देश के मध्यवर्ती क्षेत्र में सोयाबीन का सर्वाधिक उत्पादन होता है जहां मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र इसके दो सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त हैं। इन दोनों राज्यों में सोयाबीन की बिजाई घट सकती है। पिछले साल मानसून की प्रगति की रफ्तार शुरूआती दौर में धीमी रही थी इसलिए सोयाबीन की बिजाई में देर हो गई।

इस बार बारिश की स्थिति काफी अच्छी होने से किसानों को बिजाई की गति बढ़ाने में कोई कठिनाई नहीं हो रही है। सोयाबीन की बिजाई अभी जारी है लेकिन कुल मिलाकर इसका क्षेत्रफल गत वर्ष से कम रह सकता है।

क्योंकि कुछ क्षेत्रों में किसान सोयाबीन के बजाए तुवर, उड़द, धान, मक्का एवं कपास जैसी फसलों की खेती को प्राथमिकता दे सकते हैं। सोयाबीन का बाजार नरम है और आपूर्ति के पीक सीजन से ही इसका भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है।

दूसरी ओर सोयाबीन का दाम समर्थन मूल्य से भी नीचे चल रहा है। मध्य प्रदेश में किसान सोयाबीन के बदले मक्का तथा महाराष्ट्र में दलहन एवं कपास की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं।

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान गत सप्ताह तक राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 28.86 लाख हेक्टेयर से दोगुने से भी ज्यादा उछलकर 60.63 लाख टन के करीब पहुंच गया।

वर्ष 2023 के खरीफ सीजन में सोयाबीन का कुल रकबा 124.11 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा था। सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य- मध्य प्रदेश में 11 जुलाई को सोयाबीन का मॉडल मूल्य (जिस भाव पर सर्वाधिक कारोबार होता है)। 3970-4500 रुपए प्रति क्विंटल (लूज में) दर्ज किया गया जो 4600 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे था।

सोयाबीन के प्रमुख उत्पादन राज्यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, गुजरात एवं तेलंगाना आदि शामिल हैं। सोयाबीन की बिजाई अगस्त तक जारी रहेगी।