Stock Market: इक्विटी से कमाई पर टैक्स बढ़ा तो लंबे समय तक गिरावट संभव

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नई दिल्ली। Capital gains tax: भारत में पूर्ण बजट आने के लिए दो सप्ताह से भी कम समय बचे हैं। 23 जुलाई 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में बजट पेश करेंगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार मोदी सरकार शेयर बिक्री से कमाई होने पर लगने वाले टैक्स (कैपिटल गेन टैक्स) नियमों में बदलाव कर सकती है।

ऐसे में मार्केट एनालिस्ट ने कहा है कि अगर कैपिटल गेन टैक्स स्ट्रक्चर में वित्त मंत्री कोई बदलाव लेकर आती हैं तो इसका असर शेयर बाजार पर भी देखने को मिलेगा। इसलिए सरकार को मौजूदा टैक्स नियम बरकरार रखना चाहिए।

Axis Securities PMS के पोर्टफोलियो मैनेजर निशित मास्टर ने कहा, ‘शेयर बिक्री से हुई कमाई को लॉन्ग-टर्म या शॉर्ट टर्म माना जाए, अगर इसके लिए टेन्योर या होल्डिंग पीरियड में बढ़ोतरी की जाती है तो उसका ज्यादा असर शेयर बाजार पर ज्यादा लंबे समय के लिए नहीं दिखेगा। भले ही एक-दो दिन के लिए थोड़ी हलचल दिख सकती है। लेकिन, जहां तक शेयर बाजार की बात की जाए तो इसमें गहरा असर देखने को मिलेगा। हालांकि, अगर लिस्टेड कंपनियों के शेयरों की बिक्री पर टैक्स रेट बढ़ाया जाता है, तो बाजार 3-5 प्रतिशत तक गिर सकते हैं और सेंटिमेंट एक महीने या उससे अधिक समय तक मंदी रह सकती है।’

मौजूदा समय में, इन्वेस्टर्स लिस्टेड शेयरों की होल्डिंग पीरियड एक साल से कम होने पर 15 प्रतिशत शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स का भुगतान करते हैं। दूसरी ओर, अगर सेलर को एक लाख रुपये से ज्यादा का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) होता है तो कमाई पर 10 प्रतिशत (cess के साथ) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है। बता दें कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन का मतलब एक साल से ज्यादा का होल्डिंग पीरियड होता है।

ClearTax के टैक्स स्पेशलिस्ट मणिकंदन एस ने कहा, ‘मोदी 3.0 बजट 2024 में, इक्विटी निवेश के संबंध में LTCG में बदलाव की उम्मीदें ज्यादा हैं। 2018 में लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स को फिर से लागू किया गया था, लेकिन इस महीने के अंत में आने वाले बजट में इसमें बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।’

मार्केट एक्सपर्ट्स फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट में ट्रेडों से होने वाली कमाई पर लगने वाले टैक्स में भी बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) कुछ महीनों से F&O सेगमेंट में सट्टा गतिविधि (speculative activity) में इजाफे के खिलाफ चेतावनी दे रहा है।

मणिकंदन ने कहा कि इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अनुसार, F&O ट्रेडिंग से हुई इनकम को गैर-सट्टा बिजनेस इनकम के रूप में बांटा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब इसे सट्टे से इनकम के रूप में माना जा सकता है और ज्यादा रेट पर टैक्स लगाया जा सकता है।

निशित मास्टर ने कहा, ‘इस तरह का बदलाव F&O सेगमेंट में वॉल्यूम को प्रभावित कर सकता है, जो मुझे लगता है कि बाजार के लॉन्ग-टर्म हेल्थ के लिए अच्छा है।’इक्विनॉमिक्स रिसर्च (Equinomics Research) के हेड और फाउंडर जी चोक्कलिंगम ने भी F&O सेगमेंट के टैक्स नियमों में बदलाव की उम्मीद जताई। उनका मानना है कि ऐसे बदलाव SEBI और सरकार की हालिया ‘चेतावनी’ के अनुरूप होंगे।

उन्होंने कहा, ‘संभावना है कि सरकार F&O सेगमेंट में ट्रेडिंग से होने वाली कमाई को सट्टा मान सकती है और इस पर लगभग 30-33 प्रतिशत का हाई टैक्स रेट लगा सकती है। सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) भी बढ़ सकता है। ऐसे उपाय F&O सेगमेंट से कैश/डिलीवरी-आधारित ट्रेडों की ओर शिफ्ट देख सकते हैं। इन प्रस्तावों का भारतीय बाजार पर कुछ समय के लिए दिख सकता है लेकिन लंबे वक्त के लिए नहीं होगा।’