ग्रीन एनर्जी बढ़ाने के लिए विश्व बैंक ने भारत को दी 150 करोड़ डॉलर के लोन की मंजूरी

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नई दिल्ली। Green Energy: विश्व बैंक (World Bank) ने भारत को कम कार्बन वाली एनर्जी के विकास में तेजी लाने के लिए मदद के तौर पर 1.5 बिलियन डॉलर (150 करोड़ डॉलर) के लोन को मंजूरी दी है। शुक्रवार को एक बयान में कहा गया कि इस फंड का इस्तेमाल ग्रीन हाइड्रोजन, इलेक्ट्रोलाइजर के मार्केट को बढ़ावा देने और रिन्यूबल एनर्जी की पैठ बढ़ाने के लिए किया जाएगा।

यह भारत की हरित ऊर्जा (green energy) को बढ़ावा देने के लिए वर्ल्ड बैंक से फंडिंग का दूसरा राउंड है। जून 2023 में, विश्व बैंक ने भारत के लो-कार्बन एनर्जी के विकास में तेजी लाने के लिए 1.5 बिलियन डॉलर की पहली लो-कार्बन एनर्जी प्रोग्रामेटिक डेवलपमेंट पॉलिसी ऑपरेशन (Low-Carbon Energy Programmatic Development Policy Operation) को मंजूरी दी।

बहुपक्षीय फाइनेंशिंग एजेंसी के अनुसार, ताजा फंडिंग से भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और खपत के विस्तार में मदद मिलेगी। साथ ही साथ कम कार्बन निवेश के लिए फंड जुटाने को बढ़ावा देने के लिए जलवायु वित्त (climate finance) के तेजी से विकास में मदद मिलेगी।

विश्व बैंक ने अपने बयान में कहा, ‘दूसरा लो-कार्बन एनर्जी प्रोग्रामेटिक डेवलपमेंट पॉलिसी ऑपरेशन – आकार में बराबर दो ऑपरेशनों की सीरीज में दूसरा – ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलाइजर के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए सुधारों का मदद करेगा। यह ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन के लिए जरूरी और महत्वपूर्ण तकनीक है।’

यह फंडिंग ऐसे समय मंजूर हुई है जब भारत अपने महत्वाकांक्षी ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों (energy transition targets) को पूरा करना चाहता है। केंद्र ने 2030 तक 500 गीगावॉट स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (renewable energy capacity) हासिल करने और 2070 तक नेट जीरो तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, केंद्र ने इलेक्ट्रोलाइजर और ग्रीन हाइड्रोजन की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 17,000 करोड़ रुपये का राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) भी शुरू किया है।

वर्ल्ड बैंक ने क्या कहा: वर्ल्ड बैंक ने कहा कि यह ऑपरेशन रिन्यूबल एनर्जी पैठ को बढ़ावा देने के लिए सुधारों का भी सपोर्ट करता है। उदाहरण के लिए, बैटरी एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशंस को प्रोत्साहित करना और ग्रिड में रिन्यूबल एनर्जी एंटिग्रेशन में सुधार के लिए भारतीय बिजली ग्रिड कोड में संशोधन करना। जून 2023 में, विश्व बैंक ने $1.5 बिलियन के पहले लो-कार्बन एनर्जी प्रोग्रामेटिक डेवलपमेंट पॉलिसी ऑपरेशन को मंजूरी दी। इस फंड से ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स में रिन्यूबल एनर्जी के लिए ट्रांसमिशन फी की छूट का समर्थन मिला, सालाना 50 गीगावॉट रिन्यूबल एनर्जी टेंडर्स लॉन्च करने के लिए एक स्पष्ट रास्ता जारी हुआ और राष्ट्रीय कार्बन क्रेडिट बाजार के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार किया गया।

भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे (Auguste Tano Kouame) ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘विश्व बैंक भारत की लो-कार्बन डेवलपमेंट स्ट्रेटेजी का सपोर्ट जारी रखते हुए खुश है, जो प्राइवेट सेक्टर में स्वच्छ ऊर्जा रोजगार (clean energy jobs) पैदा करते हुए देश के नेट जीरो टारगेट को प्राप्त करने में मदद करेगा।कौमे ने कहा, ‘वास्तव में, पहले और दूसरे दोनों ऑपरेशनों में ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूबल एनर्जी में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।”

बढ़ेगा ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग
ऑपरेशन द्वारा समर्थित सुधारों के परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 26 (FY25/26) से प्रति वर्ष कम से कम 450,000 मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन और 1,500 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइजर का उत्पादन होने की उम्मीद है।

इसके अलावा, यह रिन्यूबल एऩर्जी की क्षमता बढ़ाने और उत्सर्जन में प्रति वर्ष 50 मिलियन टन की कटौती में भी काफी मदद करेगा। यह ऑपरेशन राष्ट्रीय कार्बन क्रेडिट बाजार को और विकसित करने के कदमों का भी समर्थन करेगा। ऑपरेशन के टीम लीडर ऑरेलीन क्रूस, जियाओडोंग वांग और सुरभि गोयल ने कहा, ‘भारत ने रिन्यूबल एनर्जी कैपासिटी के तेजी से विस्तार के आधार पर ग्रीन हाइड्रोजन के लिए एक घरेलू बाजार विकसित करने के लिए साहसिक कार्रवाई की है। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की प्रोत्साहन योजना के तहत पहले टेंडर ने निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण रुचि प्रदर्शित की है।’

गोयल ने कहा, ‘यह ऑपरेशन हरित हाइड्रोजन और रिन्यूबल एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाने में मदद कर रहा है। यह भारत के Nationally Determined Contributions टारगेट को प्राप्त करने की यात्रा में योगदान देगा।’ यह ऑपरेशन भारत सरकार की एनर्जी सिक्योरिटी और बैंक की हाइड्रोजन फॉर डेवलपमेंट (H4D) साझेदारी के साथ जुड़ा हुआ है। ऑपरेशन के फाइनेंशिंग में इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD) से 146 करोड़ डॉलर का लोन और इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन (IDA) से 3.15 करोड़ डॉलर का लोन शामिल है।