नई दिल्ली। अमेरिका फॉरेन अकाउंट टैक्स कंप्लायंस ऐक्ट (FATCA) के तहत भारत को जो सूचनाएं दे रहा है, उनके आधार पर टैक्स अथॉरिटीज ने ऐक्शन लेना शुरू कर दिया है। ऐसे लोगों को नोटिस भेजे जा रहे हैं, जिनके बैंक खाते अमेरिका में हैं। इससे विदेश में काला धन छिपाने के आरोपों में उन पर मुकदमे की राह बन सकती है।
जिन लोगों को ऐसे नोटिस मिले हैं, उनमें एक मल्टीनैशनल के एक टॉप रैंक एग्जिक्युटिव्स भी हैं, जो कुछ साल पहले भारत लौट आए थे। उनसे अमेरिकी बैंक खाते में उन्हें मिले डिविडेंड्स के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
अमेरिका में कुछ वित्तीय लेनदेन रखने वाले कई अन्य सीनियर एग्जिक्युटिव्स को भी डायरेक्टरेट जनरल ऑफ इनकम टैक्स (इंटेलिजेंस एंड क्रिमिनल इनवेस्टिगेशन) की ओर से लेटर मिले हैं।
भारत ने FATCA पर दस्तखत करने के बाद सितंबर 2015 में अमेरिका से ऐसी सूचना का लेनदेन शुरू किया था। अधिकारियों के मुताबिक, सवाल मुख्य तौर पर ऐसे लोगों के बैंक खातों में डिविडेंड्स, इंटरेस्ट इनकम और डिपॉजिट्स से जुड़े हैं, जिन्होंने अमेरिका में कुछ वक्त बिताया है। यह साफ नहीं है कि ऐसे कितने नोटिस भेजे जा चुके हैं।
अगर एसेट्स और इनकम कुछ साल पहले की हों, लेकिन उनका खुलासा पिछले साल विदेश में रखी ब्लैक मनी को रेगुलराइज करने के लिए पेश की गई स्कीम के तहत नहीं किया गया होगा तो ऐसे लोगों को दिक्कत हो सकती है।
सरकार ने विदेश में एसेट्स रखने वालों को इस स्कीम के तहत खुलासा करने का आखिरी मौका दिया था। अनडिसक्लोज्ड फॉरेन इनकम ऐंड एसेट्स (इंपोजिशन ऑफ टैक्स) ऐक्ट ने विदेश में संपत्ति छिपाने को अपराध घोषित किया था और ऐसे अपराध में 10 साल तक के सश्रम कारावास और 120 पर्सेंट टैक्स का प्रावधान है। इस तरह पूरी संपत्ति कुर्क हो जाएगी।
एक सीनियर इनकम टैक्स ऑफिशल ने कहा, ‘FATCA के तहत मिली सूचना के आधार पर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ इनकम टैक्स प्राथमिक रूप से फिल्टरिंग कर रहा है। शुरुआती जांच के बाद जानकारी आगे की कार्रवाई के लिए असेसिंग ऑफिसर्स के पास भेज दी जाएगी।‘