किसी उद्योगपति का कर्जा माफ नहीं हुआ, बल्कि 10 लाख करोड़ की रिकवरी हुई

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विपक्ष के लोगों को लोन वेवर और राइटऑफ में भी फर्क समझ नहीं आता : वित्त मंत्री

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि लोन डिफाल्टर्स के साथ किसी तरह की रियायत नहीं की जा रही है और ईडी ने अब तक 64,920 करोड़ की संपत्ति अटैच कीहै। उन्होंने कहा कि इस तरह के 1105 डिफाल्टर अब भी जांच के दायरे में हैं।

विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार में किसी भी उद्योगपति का कर्जा माफ नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, विपक्ष झूठ बोलने और अफवाह फैलाने का आदी हो गया है। विपक्ष के लोगों को लोन वेवर और राइटऑफ में भी फर्क समझ नहीं आता है।

उन्होंने कहा, आरबीआई के निर्देशों के मुताबिक राइटऑफ के बाद बैंक सक्रिय रूप से बैड लोन की रिकवरी में जुट जाते हैं। किसी भी उद्योगपति का कोई भी कर्ज मोदी सरकार में माफ नहीं किया गया है। वहीं बैंकों ने बैड लोन से 10 लाख रुपये की रिकवरी की है।

उन्होंने बताया कि ईडी ने 1105 मामलों की जांच की है जिसके बाद 64920 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है। दिसंबर 2023 के आंकड़ों के मुताबिक 15183 करोड़ की राशि सरकारी बैंकों को फिर से वापस की गई है। बैड लोन की रिकवरी में किसी तरह की ढील नहीं दी जा रही है। खास तौर पर बड़े डिफाल्टर्स से लोन की रिकवरी की जा रही है।

वित्त मंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार की गलती की वजह से बैंकिंग और कॉर्पोरेट सेक्टर को तनाव का सामना करना पड़ा। हालांकि मोदी सरकार में बैंकों को एनपीए से मुक्त करदिया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार ने निहित स्वार्थों के चलते बैंकों को भ्रष्टाचार के दलदल में फंसा दिया था। लापरवाह ढंग से लोगों को लोन दिए गए। ऐसे लोगों को लोन दिया जाता था जिनका पार्टी केसाथ संबंध रहता था। ऐसे में बैंकों को भी मजबूरी में रिस्क को नजरअंदाज करना पड़ता था।

उन्होंने कहा बैंकों को जब एनपीए के मामले में पारदर्शिता का मौका मिला तो 2017-18 तक इस सेक्टर में 14.6 फीसदी की ग्रोथ हुई। उन्होंने कहा कि पूर्व राज्यपाल रघुराम राजन और उर्जित पटेल ने भी यूपीए सरकार के सामने यूपीए का मुद्दा उठाया था। रघुराम राजन ने बताया था कि यूपीए के समय में एनपए एक बड़ी समस्या बन गई थी। वहीं उर्जित पटेल ने भी कहा था कि यूपीए में सरकारी बैंकों की कार्यप्रणाली नौकरशाही के अवरोधों और राजनीतिक सौदेबाजी में फंस गई है।

2015 मों मोदी सरकार ने आरबीआई को असेट क्वालिटी रिव्यू के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद 10 लाख करोड़ से ज्यादा के एपीए का पता चला। बहुत सारा एनपीए बैंकों की बैलेंसशीट में छिपा हुआ था। इसके बाद सरकार ने चार आर की रणनीति अपनाई। इसमें रिकग्निजिशन, रिजोलूशन, रीकैपिटलाइजेशन और रिफॉर्म शामिल था। बैंकों को 3.10 लाख करोड़ से रीकैपिटलाइज किया गया।