Phooldol Utsav: श्री मथुराधीश मंदिर में मना फूलडोल उत्सव, गूंजे जयकारे

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अबीर गुलाल से ठाकुर जी के साथ भक्तों ने खेली होली, फूलों के झूले में विराजे ठाकुर जी

कोटा। Phooldol Utsav: शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्रीमथुराधीश मंदिर पर चैत्र कृष्ण प्रतिपदा पर सोमवार को श्रीचन्द्रावली जी का प्रधान उत्सव फूलडोल उत्सव मनाया गया। भक्त सुबह मंगला के दर्शन करने पाटनपोल स्थित मन्दिर पहुंचे। वहीं दिन में फूलों के डोल में विराजमान ठाकुर जी के दर्शन किए। पुष्प, अबीर, गुलाल से ठाकुर जी के साथ होली खेलते भक्तों ने मथुराधीश प्रभु के जयकारों से आसमान गूंजा दिया। बसंत पंचमी से शुरू हुई 40 दिवसीय फाग महोत्सव की धूम होली के दिन पर चरम पर पहुंच गई थी।

डोल उत्सव पर पूरे दिन प्रभु की सेवा चलती रही। मन्दिर में अबीर, गुलाल, चोवा, चंदन छिड़का गया। उत्सव के दौरान प्रभु को चार बार भोग अर्पित किए गए। राजभोग में गुड़ के पूडले का भोग लगाया गया। देहली पर बंदनवार सजाई गई।

उत्सव के दौरान प्रभु को सफेद घेरदार ठाड़ा वस्त्र, सोने के आभूषण, खिड़की पाग और सादा चंद्रिका धराई गई। सफेद और गुलाबी छापे की पिछवाई लगाई गई। राजभोग अर्पित करने के बाद भगवान को रंगों के साथ खेल में शामिल किया गया। इस दौरान टेसू के फूलों से बने प्राकृतिक रंगों के बौछार से गीली होली मनाई गई और होली के रसिया के संकीर्तन गुंजायमान होते रहे।

प्रथम पीठ युवराज मिलन कुमार बावा ने बताया कि डोल उत्सव प्रभु से फिर से जुड़ने का अवसर है। डोल का अर्थ लता, फूल, पत्तियों से बना झूला है। जिस पर ठाकुर जी श्रीस्वामिनी जी के साथ झूलते हैं। जबकि गोपियां श्री प्रभु पर और एक दूसरे पर टेसू का जल, अबीर गुलाल आदि छिड़कती हैं। डोल का संदेश है कि प्रभु भक्तों के हृदय में झूलते हैं। होली वसंत को चरम पर पहुंचाने का उत्सव है।