लक्ष्य प्राप्त के लिए मनुष्य को सही राह चुननी होगी: आचार्य विशुद्ध सागर

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कोटा। यदि मानव को जीवन का लक्ष्य प्राप्त करना है, तो उन्हें जीवन की सही राह चुननी होगी। मनुष्य सही राह नहीं चुनता है और लक्ष्य प्राप्ति के सपने देखता है। यह बात चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के शिष्य आदित्य सागर महाराज ससंघ ने आर के पुरम त्रिकाल चौबीस दिगम्बर जैन मंदिर समिति की ओर से आयोजित सिद्धचक्र महामण्डल विधान में कही।

उन्होंने कहा कि मनुष्य उत्तम बीज और धर्म उत्तम भूमि है। परन्तु उत्तम वृक्ष बनने के लिए विशुद्ध आचरण व कसाय की मंदता का वातावरण भी जरूरी है। उन्होंने कृष्ण लेक्ष्या के 20 कारणों को भी बताया और धर्म दया से रहित मानव को कृष्ण लेक्ष्या का बताते हुए कहा कि पाप कार्यों से पूर्व यह कभी विचार नहीं करते हैं। परन्तु धर्म के कार्यों में सदैव 100 बार विचार करते हैं। यह कभी एकता की बात नहीं करते हैं।

64 अर्घों से पूजन
मंदिर अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि शाश्वत अष्टान्हिक महापर्व सिद्धशिला पर विराजमान सिद्ध परमेष्ठी के 64 गुणों की पूजा अर्घ देकर महावीर का पूजन किया। जिसमें उनके अनन्त दर्शन, ज्ञान अवगाहनत्व, अनंत वीर्यत्व, अव्याधत्व आदि अनंत गुणों से युक्त सिद्धस्वरूप को नमस्कार किया गया। प्रतिष्ठाचार्य डॉ.अभिषेक जैन ने सम्पूर्ण अनुष्ठान संगीतमय कराकर उन्होंने सिद्ध परमेष्ठी के गुण धर्म की आध्यात्मिक शास्त्रीय विवेचना की। जिनाभिषेक शान्तिधारा, नित्यमहपूजन जन, नंदीश्वर पूजन व सिद्धचक्र विधान सम्पन्न किया। इस अवसर पर महामंत्री अनुज जैन, विनोद जैन टोरडी, महावीर अजमेरा, संजय जैन, श्रीपाल जैन, अशोक पाटनी, पारस जैन सहित कई लोग उपस्थित रहे।