हम रूप, रंग, वेशभूषा से नहीं, गुणों से सम्मानीय बनते हैं : आदित्य सागर महाराज

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कोटा। आरकेपुरम त्रिकाल चौबीस दिगम्बर जैन मंदिर समिति की ओर से आयोजित विशुद्ध ज्ञान ग्रीष्मकालीन वाचन एवं सिद्ध महामण्डल विधान का आयोजन किया गया। मंदिर समिति के अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि श्रुतसंवेगी आदित्य सागर महाराज ससंघ ने श्रद्धालुओं को जिनवाणी का श्रवण करवाया।

इस अवसर पर महामंत्री अनुज जैन, लोकेश जैन, पारस जैन, राजकुमार वैद सहित सैकड़ों की संख्या में शांत भाव से प्रवचनों का ज्ञान लिया। इस अवसर पर महरोली से राजा जैन व शैलेश ने अपनी उपस्थिती दर्ज करवाई और संतों से जीवन जीने की कला सीखी।

आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के शिष्य आदित्य सागर महाराज ससंघ ने अपने प्रवचन के माध्यम से गुणों में वृद्धि की सीख देते हुए कहा कि सर्वत्र गुणों की पूजा की जाती है। हमारा रूप, रंग, वेशभूषा महत्वपूर्ण नहीं होते, गुण से हम पूजनीय और सम्मानीय बनते हैं। हमें सदैव गुणों में वृद्धि का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जीवन में हमें प्लान ए, बी और सी बनाकर रखना चाहिए। इस संसार में जिसे खुद पर भरोसा नहीं होता, जो स्वयं को नहीं पहचानता वही हताश होता है। उन्होंने श्रेष्ठ गुणों में मधुर बोलने, आचरण व सुंदर लहजे शामिल करते हुए कहा कि यदि यह गुण आप में समाहित है तो आपके कई काम स्वत: ही हो जाते हैं। उन्होने तामसिक भोजन को छोडने व शुद्ध आहार पर जोर देते हुए कहा कि आप जैसा खाते हो वैसा ही आपका मन व विचार बनता है।