बेटियों को अब उनकी मां का गर्भाशय ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा

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कोटा। मां का गर्भाशय अब बेटी को ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा। जिसकी मदद से वह मातृत्व सुख हासिल कर सकेंगी।जिस कोख से बेटी ने जन्म लिया है अब उसी कोख से वह अपने बच्चों को भी जन्म दे सकेगी। किसी वजह से मां बनने में असफल रहने वाली बेटियों को अब उनकी मां का गर्भाशय ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा।

भारत में 6 महीने पहले देश का पहला और दुनिया का 26 वां सफल दूरबीन गर्भाशय ट्रांसप्लांट हो चुका है। अब इस तकनीकि को देश भर के हॉस्पिटल अपना सकेंगे और मां के गर्भाशय की मदद से बेटी की गोद भी भर सकेगी।

पूणे से हुई शुरुआत
मां अब बेटी को अपना गर्भाशय ट्रांसप्लांट करा सकती है और बेटी अपनी मां के गर्भाशय से बच्चे को जन्म देकर मातृत्व सुख प्राप्त कर सकती है। देश में दूरबीन से गर्भाश्य का ट्रांसप्लांट हो चुका है।

दो मां ने अपनी बेटियों के लिए गर्भाशय दान किया है। यह बात कोटा आए पुणे इंस्टीट्यूट के ग्लेक्सी केयर लेप्रोस्कॉपी के मेडिकल डॉयरेक्टर शैलेष पूंताबकर ने मीडिया से बातचीत में कही।

भारत में हुए दो ट्रांसप्लांट
पुणे इंस्टीट्यूट के ग्लेक्सी केयर लेप्रोस्कॉपी के मेडिकल डॉयरेक्टर शैलेष पूंताबकर ने बताया कि सिर्फ मां ही अपनी बेटी को गर्भाशय दान कर सकती है। इसके अलावा किसी और महिला का गर्भाशय ट्रांसप्लांटेशन सफल नहीं होता।

पूंताबकर ने बताया कि जब कोई लड़की गर्भाशय की कमियों की वजहों से मां बनने में असफल रहती है तो ऐसे केस में मां ही अपनी बेटियों को गर्भाशय देकर मां बना सकती है।

भारत में 6 महीने पहले मां का गर्भाशय बेटी को ट्रांसप्लांट करने का पहला सफल प्रयास हो चुका है। इसके बाद एक और मां ने अपनी बेटी को गर्भाशय ट्रांसप्लांट करवाया है।

26 में से 11 केस हुए फेल
शैलेष पूंताबकर ने बताया कि यह दुनिया का 26वां केस है। इससे पहले 11 केस फेल हो चुके हैं, इनमें 9 स्वीडन, 1 टर्की, 1 यूस के हैं। भारत में पहले दोनों ही केस सफल हुए हैं।

कोटा में आयोजित स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की राज्य स्तरीय कार्यशाला में  उन्होंने गर्भाशय के मुंह पर कैंसर की थैली का दूरबीन की सहायता से डेढ़ घंटे सरकारी हॉस्पिटल में लाइव ऑपरेशन किया। प्रदेशभर से आए करीब 500 चिकित्सकों ने इसे लाइव देखा।