प्रतिबंध से राजस्थान का लाइमस्टोन व सीमेंट उद्योग संकट में

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नई दिल्ली/जयपुर । दिल्ली में स्मॉग के कारण पेट कोक (पेट्रोलियम कोक) पर लगाए गए प्रतिबंध से राजस्थान के लाइमस्टोन और सीमेंट सहित अन्य उद्योग संकट में पड़ गए हैं। राजस्थान सरकार इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर करने की तैयारी कर रही है।

राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाल ही में दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पेट कोक व फर्नेस ऑयल के उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई है।

पहले यह प्रतिबंध सिर्फ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए ही था, लेकिन 17 नवंबर के आदेश के बाद चारों राज्यों में इन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे राजस्थान के लाइम स्टोन, सीमेंट, सेरामिक, टेक्सटाइल, फर्टिलाइजर उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। ईंट भट्ठे भी बंद होने की कगार पर आ गए हैं।

राजस्थान में पूरे देश का करीब 12 प्रतिशत चूना पत्थर (लाइमस्टोन) निकलता है। इसकी गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है। यही कारण है कि देश की सभी प्रमुख सीमेंट कंपनियों के प्लांट राजस्थान में लगे हुए हैं। पिछले तीन-चार वर्षो से इन प्लांटों में ईंधन के रूप में पेट कोक का ही इस्तेमाल हो रहा है। कुछ सीमेंट प्लांट तो पूरी तरह पेट कोक पर ही निर्भर हैं।

जानकारों के अनुसार पेट कोक कोयले के मुकाबले करीब 25 प्रतिशत सस्ता है। यह कोयले के मुकाबले एक तिहाई ही काम आता है। यही कारण है कि इसका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के क्षेत्रीय निदेशक रितुराज तिवारी बताते हैं कि पिछले चार वर्ष में पेट कोक का आयात करीब चार गुना तक बढ़ गया है।

यह अमेरिका से आयात किया जाता है। वर्ष 2013 में इसका आयात 78 लाख टन था। अब बढ़कर तीन करोड़ टन हो गया है। वहीं कोयले का आयात 2015-16 में 20.40 करोड़ टन से 2016-17 में घटकर 19.20 करोड़ टन रह गया है। इसमें और कमी आ रही है। हालांकि अगर पेट कोक पर रोक लगाई जाती है तो कोयले का आयात बढ़ाना पड़ेगा।

प्रदूषण रोकने के लिए पेट कोक पर प्रतिबंध बहुत ज्यादा कारगर नहीं है, क्योंकि यह कोयले के मुकाबले सिर्फ 11 प्रतिशत अधिक ग्रीन हाउसगैस उत्सर्जित करता है। इसका विकल्प प्राकृतिक गैस हो सकती है, मगर यह बहुत महंगी है। सरकार को इसे सस्ता करना चाहिए।