नयी दिल्ली। सरकार ने प्रस्तावित वस्तु एवं सेवाकर व्यवस्था के अमल में आने पर उद्योगों को किसी भी सौदे अथवा मूल्यांकन के बारे में कर देनदारी के बारे में अग्रिम निर्देश लेने की अनुमति दे दी है। कर देनदारी के मुद्दे पर विवादों से बचने के लिये जीएसटी प्रणाली में भी व्यवस्था की गई है।
जीएसटी एडवांस रूलिंग नियमों में कहा गया है कि ऐसे मामलों को देखने के लिये अग्रिम निर्देश प्राधिकरण :एएआर: के सदस्यों को नियुक्त किया जायेगा। केन्द्र और राज्य दोनों ही इन सदस्यों की नियुक्ति करेंगे। ये सदस्य संयुक्त आयुक्त के स्तर का होगा जिन्हें इस रैंक में तीन वर्ष से कम का अनुभव नहीं होना चाहिये। केन्द्रीय जीएसटी में इस संदभर्र में कहा गया है कि किसी भी करदाता द्वारा वस्तु और सेवाओं अथवा दोनों के मामले में अग्रिम निर्देश प्राप्त किया जा सकता है।
मौजूदा व्यवस्था में कोई भी घरेलू कंपनी यदि कोई नया कारोबार शुरू करती है तो वह उसकी उत्पाद अथवा सेवा कर या फिर सीमा शुल्क देनदारी के बारे में अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग — एएआर से संपर्क कर सकती है। लेकिन जीएसटी व्यवस्था में इसे खुला रखा गया है और कहा गया है कि कोई भी कंपनी कर के बारे में अग्रिम निर्देश प्राप्त कर सकती है।
विशेषग्यों ने जीएसटी के तहत एएआर गठित करने को सकारात्मक घटनाक्रम बताया है। उनका मानना है कि जीएसटी व्यवस्था लागू होने के शुरआती दिनों में वस्तुओं के मूल्यांकन, वर्गीकरण और कर के बारे में कई तरह की पूछताछ होगी। इसके साथ ही कच्चे माल पर दिये गये कर पर क्रेडिट को लेकर भी काफी पूछताछ हो सकती है।