नई दिल्ली। Wholesale Inflation: थोक महंगाई या डब्ल्यूपीआई इंफ्लेशन (WPI Inflation) की दर में अब बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई है। बीते नवंबर महीने के दौरान देश में थोक महंगाई की दर में 0.26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। बढ़ोतरी की वजह खाने-पीने के सामनों में बढ़ोतरी होना है। इसमें लहसुन और प्याज की कीमत भी शामिल है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों से मिली जानकारी के अनुसार बीते नवंबर महीने में थोक महंगाई की दर आठ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। हाल के सात महीने तक यह शून्य से नीचे ही बनी रही थी। अक्टूबर महीने में भी यह शून्य से 0.52 फीसदी नीचे थी। इससे पहले इसी साल मार्च में डब्ल्यूपीआई इंफ्लेशन की दर 1.41 फीसदी थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के अनुसार बीते नवंबर महीने के दौरान मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं, खजीनों, शीनरी व उपकरण, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक व ऑप्टिकल उत्पादों, मोटर वाहनों, अन्य परिवहन उपकरणों और अन्य विनिर्माण वस्तुओं आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण सकारात्मक दायरे में रही। उल्लेखनीय है कि खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति नवंबर में 8.18 प्रतिशत रही, जो अक्टूबर में 2.53 प्रतिशत थी।
इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खुदरा या उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर तीन महीने के उच्चस्तर 5.55 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों को स्थिर रखा था। इसके साथ ही नवंबर और दिसंबर महीने के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ने के संकेत दिए थे।