उत्तरकाशी: पूरा हुआ रेस्क्यू, पत्थरों की सुरंग का सीना चीरकर बाहर आए सभी 41 श्रमिक

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उत्तरकाशी। दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है।। सुरंग के अंदर मेडिकल की टीम से लेकर सीएम धामी और अन्य अधिकारी मौजूद हैंं।  टनल से पहले मजदूर के निकलते ही एंबुलेंस से उसे अस्पताल पहुंचाया गया।

17 दिन तक चले बचाव अभियान के बाद मंगलवार को वह ‘मंगलघड़ी’ आई जिसका ना सिर्फ मजदूरों के परिवारों बल्कि पूरे देश को इंतजार था। 400 से अधिक घंटे तक देसी-विदेशी मशीनों और एक्सपर्ट ने मुश्किलों और चुनौतियों से भरे मिशन में हर बाधा को पार करते हुए मजदूरों को धीरे-धीरे बाहर निकाला गया। मलबे में 800 एमएम की पाइप डालकर एक स्केप टनल बनाया गया था, जिसके जरिए मजदूरों को बाहर निकाला गया।

चमत्कार से कम भी नहीं
आखिरकार 16 दिनों के रेस्क्यू ऑपरेशन ने रंग दिखा दिया। ‘इंसान, विज्ञान और भगवान’ की त्रिशक्ति ने सीमेंट और शरिये की मजबूत जोड़ को ध्वस्त कर दिया। अब 16 दिन बाद 41 जिंदगियां घुप्प अंधेरे से निकलकर आजाद हवा में सांस ले पाएंगे। यह चमत्कार नहीं तो चमत्कार से कम भी नहीं है।

दिवाली की सुबह हुआ था हादसा
उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर चारधाम सड़क परियोजना (ऑलवेदर रोड) के लिए निर्माणाधीन सुरंग में रविवार को यह हादसा हुआ था। यमुनोत्री हाईवे पर धरासू से बड़कोट कस्बे के बीच सिलक्यारा से पौल गांव तक 4.5 किलोमीटर टनल निर्माण चल रहा है। दिवाली के दिन तड़के चार बजे शिफ्ट चेंजिंग के दौरान सुरंग के मुहाने से करीब 150 मीटर अंदर टनल का 60 मीटर हिस्सा टूट गया और सभी मजदूर अंदर फंस गए।

पाइपलाइन बनी लाइफलाइन
सुरंग से पानी निकासी के लिए लगाई गई एक पौने चार इंच की पाइप लाइफलाइन साबित हुई। हादसे के बाद इसी पाइप के जरिए मजदूरों को ऑक्सीजन, पानी और खाने के लिए कुछ हल्के-फुल्के सामान भेजे गए। इसी पाइप के जरिए उन्हें जरूरी दवाएं भी दी गईं। हादसे के बाद 10वें दिन एक छह इंच की पाइप मजदूरों तक पहुंचाने में सफलता मिली, जिसके बाद उन्हें गरम खाना दिया जाने लगा। इसी पाइप के जरिए अंदर कैमरा भेजा गया और पहली बार अंदर का दृश्य दिखा।

सुरंग की ‘कैद’ में मजदूरों ने ऐसे बिताए 16 दिन
सुरंग के भीतर बीते 16 दिन से फंसे मजदूरों को बाहरी दुनिया की मुश्किलों की जानकारी नहीं दी गई थी। उनका हर वक्त हौसला बढ़ाया जाता रहा, जिससे वह परेशानी महसूस न करें। वह मोबाइल पर गाने सुनते थे। बीएनएलएल के लैंडलाइन फोन से परिजनों से बातचीत भी कर पा रहे थे। परिजनों और भीतर फंसे मजदूरों के बीच संवाद कायम रखने के लिए उन्हें कुछ औपचारिकताएं पूरी करके मिलने की आजादी दी गई थी। वह सुरंग के भीतर जाकर अपने परिजनों से बातचीत कर पा रहे थे। सबा अहमद के भाई नैयर अहमद ने बताया कि वह जब भी बात करते थे तो उसे समझाते थे कि सबकुछ ठीक चल रहा है।

किस राज्य के कितने मजदूर
झारखंड- 15
उत्तर प्रदेश- 8 
ओडिशा-5
बिहार-5
पश्चिम बंगाल-3
उत्तराखंड-2
असम-2
हिमाचल प्रदेश -1