नई दिल्ली। El Nino Effect: गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बीच फसल की बुवाई के रकबे में गिरावट ने चिंता बढ़ा दी है। देश में गेहूं की बुवाई का रकबा 17 नवंबर तक एक साल पहले की तुलना में 4.7 लाख हेक्टेयर यानी 5.5 फीसदी घटकर 86 लाख हेक्टेयर रह गया है।
इसकी प्रमुख वजह अल नीनो प्रभाव के कारण पानी की कमी और मिट्टी की नमी के स्तर में गिरावट है। ऐसे में किसान गेहूं के बजाय उन फसलों की बुवाई बढ़ा रहे हैं, जिसमें सिंचाई के लिए पानी की कम आवश्यकता पड़ती है।
विशेषज्ञों ने कहा, सामान्य से अधिक तापमान के कारण 2022 और 2023 में गेहूं की पैदावार प्रभावित हुई। इससे घरेलू बाजार में कीमतें उच्च स्तर पर पहुंच गईं। कीमतें नियंत्रित करने को सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।
उनका कहना है कि 2024 में भी उत्पादन सामान्य से कम रहा तो अनाज उत्पादन में देश की आत्मनिर्भरता खतरे में पड़ सकती है और सरकार को अगले साल गेहूं आयात करना पड़ सकता है। इन मुश्किलों के बीच सबसे बड़ी चिंता गेहूं के भंडार में आ रही गिरावट है। देश में एक नवंबर, 2023 तक गेहूं का भंडार 2.19 करोड़ टन था। यह आंकड़ा पांच साल के औसत 3.48 करोड़ टन से 60 फीसदी कम है।
प्याज का निर्यात 30 नवंबर तक
सरकार ने कुछ विशेष स्थितियों में प्याज निर्यात को मंजूरी दी है। बयान में कहा गया है कि प्याज की जो खेप सीमा शुल्क अधिकारियों को अधिसूचना से पहले सौंप दी गई है और 29 अक्तूबर से पहले उनके सिस्टम में पंजीकृत है, उन्हें 30 नवंबर तक निर्यात किया जा सकता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने बृहस्पतिवार को कहा, निर्यात की अवधि इस साल 30 नवंबर तक होगी। अधिसूचना के जारी होने से पहले भुगतान किया गया निर्यात शुल्क वापस नहीं किया जाएगा।