- आमदनी घटने की वजह से स्टॉक की सीमा हटवाना चाहती हैं चीनी मिलें
- मुंबई में एम30 चीनी के दाम 3,772 रुपये प्रति क्विंटल हैं जो हैं 22 दिसंबर, 2016 के समान
- इस्मा ने अक्टूबर-सितंबर के चीनी सत्र के दौरान 25 प्रतिशत अधिक 2.511 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान जताया
मुंबई। इस बार गन्ना पेराई जल्द शुरू होने से चीनी के दामों में गिरावट आई है। नए सीजन के उत्पादन की शुरुआती आवक और चीनी आयात के बाद पिछले तीन महीनों के दौरान मुंबई में चीनी के दामों में 3.4 फीसदी की गिरावट आई है, जिससे नीति-निर्माताओं और उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने आज कहा कि जहां एक ओर पेराई जल्द शुरू हो गई, वहीं दूसरी ओर सितंबर और अक्टूबर 2017 के त्योहारों के महीनों में भी चीनी मिलों को कमजोर खरीद का सामना करना पड़ा है। इस दौरान बिक्री कुछ कम – लगभग 41 लाख टन रही, जबकि पिछले साल इन दो महीनों में चीनी की बिक्री 42 लाख टन थी।
फिलहाल मुंबई में एम30 चीनी के दाम 3,772 रुपये प्रति क्विंटल हैं जो 22 दिसंबर, 2016 के समान हैं। जुलाई में दाम 3,905 रुपये थे, इस तरह इनमें 3.41 प्रतिशत की कमी आई है। महाराष्ट्र में मिलों के बाहर (एक्स-मिल) दाम 34-35 रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है।
उत्तर प्रदेश में यह अनुमान 35.2-36 रुपये है, जबकि पूरे देश की औसत उत्पादन लागत 37.50 रुपये है। इससे मिलों की आमदनी पर दबाव बन रहा है।
एक मिलर ने कहा कि मिलें पहले ही स्टॉक की सीमा से जूझ रही हैं और जब शुरुआती सीजन में ही चीनी उत्पादन अधिक है, तो स्टॉक की सीमा से मिलों के मुनाफे प रदबाव पड़ेगा जिससे कार्यशील पूंजी में रुकावट आएगी और किसानों के भुगतान पर भी असर पड़ेगा।
इस्मा ने अक्टूबर-सितंबर के चीनी सीजन के दौरान लगभग 25 प्रतिशत अधिक 2.511 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान जताया है।
इस्मा ने कहा कि अब जब चीनी उत्पादन वर्ष 2017-18 में चालू सीजन अधिशेष चीनी उत्पादन की दिशा में संतुलन बनाते हुए बढ़ रहा है, तो ऐसे में इस्मा ने सरकार से तत्काल प्रभाव से चीनी व्यापारियों पर स्टॉक जमा करने की सीमा हटाने का अनुरोध किया है।
स्टॉक सीमा से नकदी प्रवाह प्रभावित होगा, जो चीनी उत्पादकों के हितों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है और बहुत जल्द गन्ना किसानों को भुगतान करने की उनकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
2017-18 के सीजन का प्रारंभिक स्टॉक पिछले साल के 7.752 करोड़ टन के मुकाबले 39 लाख टन रहने का अनुमान है, लेकिन उत्पादन में 25 प्रतिशत अनुमानित वृद्धि का अर्थ होगा अधिक उत्पादन वाला साल।
इस्मा ने इस वर्ष 2.5 करोड़ टन मांग का अनुमान जताया है, जिसका मतलब है कि इस वर्ष चीनी की कोई कमी नहीं रहेगी। जैसा कि अपेक्षित था, चीनी सीजन 2017-18 के लिए पेराई पिछले सीजनों की तुलना में पहले शुरू हुई है।
15 नवंबर, 2017 को 313 चीनी मिलें पेराई कर रही थीं, जबकि 15 नवंबर, 2016 को 222 चीनी मिलें ही गन्ने की पेराई कर रही थीं। चालू सीजन के शुरुआती 45 दिनों में 13.7 लाख टन चीनी उत्पादन किया गया है, जबकि पिछले साल शुरुआती 45 दिनों में 7.67 लाख टन चीनी उत्पादन किया गया था।
चीनी के इस अधिक उत्पादन में मुख्य योगदान उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की चीनी मिलों का है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने 5.67 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि पिछले साल 1.93 लाख टन उत्पादन था।
महाराष्ट्र में पिछले साल के 1.92 लाख टन चीनी उत्पादन के मुकाबले, इस साल 3.26 लाख टन उत्पादन किया जा चुका है। तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक यानी कर्नाटक ने लगभग उतनी ही मात्रा में उत्पादन किया है, जितना पिछले साल किया था।