कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद भी हाईवे और एक्सप्रेसवे पर देना होगा टोल टैक्स

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना का ठेका समाप्त होने के बाद भी 100 फीसदी टोल टैक्स लेने का फैसला किया है। इसके अलावा, उक्त टोल कंपनियों को प्रति वर्ष टैक्स में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के अनुपात टैक्स की दरें बढ़ाने का अधिकार होगा।

वर्तमान व्यवस्था में राजमार्ग परियोजना का ठेका समाप्त होने के पश्चात टोल टैक्स की दरों में 40 फीसदी की कमी कर दी जाती है। लेकिन, अब सड़क यात्रियों को यह रियायत नहीं मिलेगी।

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने इस बाबत 6 अक्टूबर को अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें उल्लेख है कि राष्ट्रीय राजमार्ग फीस (दरों का अवधारण व संग्रहण) 2008 में संशोधन किया गया है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) टोल परियोजाओं में टोल वसूली के ठेके की मियाद पूरी होने के बाद टैक्स की दरें 40 फीसदी तक घटाने का नियम है।

देखने में आया है कि ठेके की अवधि (10-15 साल) तक राजमार्ग परियोजना में किए गए निवेश की भरपाई टोल टैक्स से पूरी नहीं हो पाती है। इसके अलावा, भूमि अधिग्रहण के एवज में दिए गए मुआवजे की रकम की वसूली नहीं होती है।

टोल वसूली निजी कंपनी अथवा एनएचएआई करेगा इसके अलावा, पांच साल बाद राजमार्ग की मरममत, रखरखाव आदि में मोटी धनराशि खर्च करनी पड़ती है, इसलिए नियमों में बदलाव करते हुए 100 फीसदी टोल टैक्स वसूलने का फैसला किया गया है। उन्होंने बताया कि टोल वसूली निजी कंपनी अथवा एनएचएआई करेगा।

वहीं पीपीपी मोड व अन्य मोड में बनाए गए राष्ट्रीय राजमार्गो पर अनंतकाल तक टोल टैक्स लिया जाएगा, क्योंकि राजमार्ग निर्माण के पश्चात यातायात दबाव को देखते हुए उनके चौड़ीकरण, पुल निर्माण, बाईपास आदि बनाने का काम किया जाता है। इसके अलावा उनके रख रखाव मद में भी पैसा खर्च किया जाता है।

पे एंड यूज नीति की योजना
केंद्र ने 2018 में पुरानी टोल टैक्स नीति के स्थान पर पे एंड यूज नीति लागू करने की योजना बनाई थी। इसमें सड़क यात्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिनती दूरी तय करेगा उतना टैक्स देना होगा। वर्तमान में प्रत्येक 60 किलोमीटर पर टोल प्लाजा है और बीच के यात्रियों को पूरा टोल देना पड़ता है। इसको देखते हुए सरकार पे एंड यूज नीति लागू करने की तैयारी कर रही थी, लेकिन 5 साल बीतने के बाद भी इस नीति को आज तक लागू नहीं किया जा सका है। विश्व के अन्य देशों में उक्त नीति के तहत टोल लिया जाता है।